लॉकडाउन के दौरान दुकानों और उद्योगों से फिक्स चार्ज वापस ले दिल्ली सरकार : भाजपा

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि लॉकडाउन में उद्योग बंद थे और वहां बिजली का उपयोग ही नहीं हुआ तो स्थायी शुल्क लेना उचित नहीं है।

By Edited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 10:06 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 08:27 AM (IST)
लॉकडाउन के दौरान दुकानों और उद्योगों से फिक्स चार्ज वापस ले दिल्ली सरकार : भाजपा
लॉकडाउन के दौरान दुकानों और उद्योगों से फिक्स चार्ज वापस ले दिल्ली सरकार : भाजपा

नई दिल्ली, जागरण संवादताता। दिल्ली में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने एलान किया है अगर दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party Government) सरकार ने लॉकडाउन के दौरान बंद दुकानों और उद्योगों से फिक्स चार्ज (स्थायी शुल्क) को जल्द वापस नहीं लिया तो भाजपा इसके लिए पूरी दिल्ली में आंदोलन करेगी। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता (Delhi BJP President Adesh Gupta) ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान कहा कि दिल्ली के विकास के लिए जिन लोगों का अहम योगदान होता है उनके साथ ही दिल्ली सरकार का यह बर्ताव अशोभनीय और अस्वीकार्य है। दिल्ली के उद्यमियों, व्यापारियों व अन्य के टैक्स के पैसों से दिल्ली सरकार जरूरतमंदों तक मदद पहुंचा रही है, लेकिन उन करदाता को ही भारी-भरकम बिजली बिल भेजा जा रहा है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि लॉकडाउन में उद्योग बंद थे और वहां बिजली का उपयोग ही नहीं हुआ तो स्थायी शुल्क लेना उचित नहीं है। बिजली कंपनियां 7409 मेगावाट की अधिकतम मांग होने पर भी सर्वाधिक 22,876 मेगावाट के हिसाब से बिजली बिल में स्थायी शुल्क जोड़कर बिल भेज रही है। उन्होंने दिल्ली सरकार के उस बयान पर भी आपत्ति जताई जिसमें अन्य राज्यों के मुकाबले दिल्ली में बिजली सस्ती होने के दावे किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली की अपेक्षा में राजस्थान, हरियाणा,पंजाब में फिक्स्ड चार्ज की बात हो या फिर एनर्जी चार्ज की दोनों में दिल्ली के रेट सबसे ज्यादा हैं। अगर, जल्द राहत नहीं दी गई तो हम आंदोलन करेंगे। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि हमने कई बार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस समस्या से अवगत कराया है। लेकिन, इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकाला गया। वहीं, भाजपा सांसद हंसराज हंस ने कहा कि दिल्ली के विकास में उद्योग की अहम भूमिका है। इसलिए हमें औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल कराना चाहिए।

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