मंदिरों में प्रसाद की गुणवत्ता जांचने के लिए भोग कार्यक्रम शुरू, जानिए कैसी है दिल्ली इस्कान मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता

मंदिर में भगवान का प्रसाद भक्तों के लिए आस्था से भरपूर व स्वाद में अव्वल होता है पर अब खाद्य संरक्षा विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रसाद की न सिर्फ गुणवत्ता अच्छी हो बल्कि यह खाने में भी स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हो।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 08:30 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 08:30 AM (IST)
मंदिरों में प्रसाद की गुणवत्ता जांचने के लिए भोग कार्यक्रम शुरू, जानिए कैसी है दिल्ली इस्कान मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता
इस्कान मंदिर खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) के भोग कार्यक्रम के सभी पहलुओं को शत-प्रतिशत खरा उतरा है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मंदिर में भगवान का प्रसाद भक्तों के लिए आस्था से भरपूर व स्वाद में अव्वल होता है, पर अब खाद्य संरक्षा विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रसाद की न सिर्फ गुणवत्ता अच्छी हो बल्कि यह खाने में भी स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हो।

अच्छी बात यह है कि नजफगढ़ स्थित साईं बाबा मंदिर के बाद क्षेत्र में पंजाबी बाग स्थित इस्कान मंदिर खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) के भोग कार्यक्रम के सभी पहलुओं को शत-प्रतिशत खरा उतरा है। बीते शुक्रवार को एफएसएसआई के सीईओ अरुण सिंघल ने मंदिर प्रबंधन समिति को भोग सर्टिफिकेट प्रदान किया।

ईट राइट कैंपस कार्यक्रम का हिस्सा है भोग कार्यक्रम: भोग कार्यक्रम ईट राइट कैंपस कार्यक्रम का भाग है। खाद्य संरक्षा विभाग की आयुक्त नेहा बंसल बताती हैं कि इस कार्यक्रम के पीछे विभाग का मूल उद्देश्य यह है कि लोगों को स्वादिष्ट के साथ गुणवत्ता युक्त व सुरक्षित भोजन मिले। जिससे वे स्वस्थ रहे। सर्टिफिकेट प्रदान करने से पूर्व मंदिर की रसोई का विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण किया गया।

इस दौरान रसोई घर की साफ-सफाई, खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता, प्रबंधन, आदि से जुड़ी जो भी कमियां सामने आई, उन्हें मंदिर प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों को बताया गया ताकि वे उसे दुरुस्त करें। इसके अलावा रसोई घर की जिम्मेदारी संभाल रहे 16 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें उन्हें बताया गया कि साफ-सफाई में किन प्रमुख बातों का ध्यान रखना जरूरी है, कीट से बचाव के लिए क्या उपाय अपनाएं, खाने बनाने की प्रक्रिया के दौरान क्या-क्या एहतियात बरतने की जरूरत है, रसोई घर का प्रबंधन कैसा होना चाहिए आदि।

सभी कमियों को दूर करने के बाद अंत में एक बार फिर विशेषज्ञों ने रसोई घर व रसोई घर में कार्यरत कारीगरों के काम करने के तरीके का निरीक्षण किया और सकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद एफएसएसआई को मंदिर का नाम भोग सर्टिफिकेट के लिए प्रस्तावित किया गया है। नेहा बंसल ने बताया कि मंदिर में मिलने वाला प्रसाद कई जरूरतमंद लोगों की भूख मिटाने का माध्यम भी है। ऐसे में उन्हें स्वच्छ व पौष्टिक आहार मिले, इसलिए हमारी कोशिश है कि प्रत्येक मंदिर को इस कार्यक्रम से जोड़ा जाए।

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