बदरपुर में युवक की आंख फोड़ने के मामले में आठ माह बाद कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज

पड़ोसी ने झगड़े में मौसेरे भाई को बचाने आए युवक की आंख पर जोरदार वारकर उन्हें बुरी तरह से घायल कर दिया। इससे उनकी आंख पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। इसमें पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की तो कार्रवाई करना तो दूर मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं की।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 03:37 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 03:37 PM (IST)
बदरपुर में युवक की आंख फोड़ने के मामले में आठ माह बाद कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज
कोर्ट के आदेश पर आठ माह बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया है,

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बदरपुर थाना क्षेत्र में पड़ोसी ने झगड़े में मौसेरे भाई को बचाने आए युवक की आंख पर जोरदार वारकर उन्हें बुरी तरह से घायल कर दिया। इससे उनकी आंख पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। इस मामले में पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की तो कार्रवाई करना तो दूर, मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। पीड़ित ने पुलिस थाने और आला अधिकारियों के कार्यालय के कई चक्कर लगाए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पीड़ित ने कोर्ट का रुख किया।

वहां सुनवाई के बाद कोर्ट के आदेश पर आठ माह बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिन पुलिस वालों के खिलाफ मामले में लापरवाही बरतने की शिकायत दी गई, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। घटना की पुष्टि करते हुए पुलिस सूत्रों ने पीड़ित की पहचान 31 वर्षीय अतुल के तौर पर की है। वे परिवार के साथ बदरपुर के ताजपुर गांव स्थित गली संख्या-3 में रहते हैं। अपने बयान में अतुल ने पुलिस को बताया कि 29 मार्च को होली वाले दिन वे अपने घर में मौजूद थे और उनके मौसेरे भाई अवधेश बाहर थे। कुछ देर के बाद अचानक पड़ोसी अजय गुज्जर अपनी मां सुरेश के साथ आया और अवधेश को मारने लगा। अवधेश को बचाने के लिए जब अतुल वहां पहुंचे तो अजय ने अतुल की आंख पर जोरदार वार किया, जिससे वे बेहोश होकर गिर पड़े।

बाद में स्वजन ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने बताया कि उसकी आंख पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है और उसे अब कभी दिखाई नहीं देगा। घटना के बाद सूचना पर अस्पताल पहुंची बदरपुर थाने की पुलिस ने पीड़ित का बयान लिया, लेकिन मामले में कार्रवाई करना तो दूर, एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। पीड़ित ने मामले में कार्रवाई के लिए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों तक गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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