संसद की लोक लेखा समिति के शताब्दी समारोह कार्यक्रम का बहिष्कार करेगी दिल्ली विधानसभा
संसद की लोक लेखा समिति के 100 वर्ष पूरे होने पर दो दिवसीय शताब्दी समारोह होने जा रहा है। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने बताया कि देश की सभी विधानसभाओं को भी इसका हिस्सा बनने के लिए नियंत्रण भेजा गया है। लेकिन दिल्ली विधानसभा इसका बहिष्कार करेगी।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। संसद की लोक लेखा समिति के 100 वर्ष पूरे होने पर 4 दिसंबर से होने जा रहा है समारोह फोटो 701राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के 100 वर्ष पूरे होने पर शनिवार से दो दिवसीय शताब्दी समारोह होने जा रहा है।देश की सभी विधानसभाओं को भी इसका हिस्सा बनने के लिए नियंत्रण भेजा गया है। लेकिन दिल्ली विधानसभा इसका बहिष्कार करेगी।दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शुक्रवार को कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा जीएनसीडीटी बिल में किए गए संशोधन के विरोध में दिल्ली विधानसभा ने इस कार्यक्रम में शामिल नही होने का फैसला लिया है।अपने इस फैसले के बारे लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है और उसकी प्रति सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों को भेजकर उन्हें अवगत कराया है।
विधानसभा गोयल ने कहा कि केंद्र ने दिल्ली विधानसभा के जो अधिकार छीने हैं, वो अलोकतांत्रिक है, अस्वीकार्य है। जल्द ही मैं इस मसले पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखूंगा।इसे लेकर गोयल ने सुप्रीम कोर्ट में जाने के बारे में विचार करने की भी बात कही है।गोयल ने कहा कि संसद की लोक लेखा समिति के 100 वर्ष पूरे होने पर दो दिवसीय शताब्दी समारोह चार दिसंबर से होने जा रहा है। पहले दिन इसमें राष्ट्रपति आएंगे जबकि दूसरे दिन प्रधानमंत्री कार्यक्रम में शामिल होंगे।गोयल ने बताया कि अन्य राज्यों की तरह ही उनके और दिल्ली विधानसभा की लोक लेखा समिति की अध्यक्ष के पास इस समारोह में शामिल होने का निमंत्रण आया था। गोयल ने कहा कि लोक लेखा समिति बहुत महत्वपूर्ण समिति होती है। क्योंकि बजट विधानसभा पास करती है और यह समिति इस पर पूरे मामले पर नजर रखती है कि बजट ठीक से खर्च हुआ है या नहीं हुआ है।इसकी जांच पड़ताल यह समिति करती है।
गोयल ने कहा कि लोकसभा का शताब्दी समारोह मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण था।मगर इस समारोह का बहिष्कार करना पड़ा है। मैं मेरी विधानसभा की लोकलेखा समिति की अध्यक्ष आतिशी हम दोनों इस समारोह में शामिल नहीं होंगे। हमने हाल ही में शिमला में हुए विधानसभा अध्यक्षों के सम्मेलन में भी अपने भाषण में केंद्र के इस निर्णय का विरोध किया था।उन्होंने बताया कि इस समारोह में न जाने के पीछे का कारण यह है कि मार्च के महीने में संसद में दिल्ली की जनता के साथ एक बड़ा विश्वासघात किया गया है।दिल्ली विधानसभा के पर कतरने का प्रयास किया गया है।
उपराज्यपाल द्वारा अधिकार छीन लेने के बाद फिर से सुप्रीम कोर्ट ने जो अधिकार हमें दिए थे,उन अधिकारों को केंद्र सरकार ने मार्च 2021 में संसद में बिल में संशोधन कर हमसे छीन लिया।इसमें एक और कुठाराघात हुआ है कि बिल में संशोधन कर यह भी जोड़ा गया है कि किसी भी प्रशासनिक निर्णय पर न ही विधानसभा और न ही विधानसभा की कोई समिति संज्ञान नहीं लेगी। इतना ही नहीं पूर्व में लिए गए निर्णयों को भी निरस्त कर दिया गया है।