छह सालों में सर्वाधिक प्रदूषित रही नवंबर में दिल्ली की हवा, पर्यावरण विशेषज्ञों ने बताई ये दो वजह

सेंटर फार साइंस एंड एन्वाययरमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी बताती हैं इस सीजन में पराली जलाने की धीमी शुरुआत देखी गई । आमतौर पर नवंबर तक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले कम होने लगते हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 11:09 AM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 11:09 AM (IST)
छह सालों में सर्वाधिक प्रदूषित रही नवंबर में दिल्ली की हवा, पर्यावरण विशेषज्ञों ने बताई ये दो वजह
15 दिन एयर इंडेक्स बहुत खराब और दो दिन दिन खराब श्रेणी में दर्ज हुआ।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इस बार दिल्ली में नवंबर का महीना पिछले छह सालों में सर्वाधिक प्रदूषित रहा है। 2016 से लेकर अभी तक इस माह में गंभीर श्रेणी की हवा वाले सर्वाधिक दिन दर्ज किए गए हैं। सोमवार तक माह के 29 दिनों में से एक भी दिन दिल्लीवासियों को अच्छी, संतोषजनक और मध्यम श्रेणी की हवा नहीं मिली। मंगलवार को इस माह के आखिरी दिन भी दिल्ली की हवा बहुत खराब श्रेणी में ही रहने वाली है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर 2016 में गंभीर श्रेणी यानी 400 से ऊपर के एयर इंडेक्स वाले 10 दिन दर्ज हुए थे। वर्ष 2017 में यह संख्या सात, 2018 में पांच, 2019 में सात और 2020 में नौ दिन रही थी। इस साल नवंबर में सोमवार तक गंभीर श्रेणी के एयर इंडेक्स वाले दिनों की संख्या 12 पहुंच गई। 15 दिन एयर इंडेक्स बहुत खराब और दो दिन दिन खराब श्रेणी में दर्ज हुआ।

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार मानसून की देरी से वापसी और उत्तर भारतीय राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं भी देर से शुरू होने के कारण इस साल हवा ज्यादा खराब रही है। पराली जलाने के मामले आमतौर पर नवंबर के मध्य तक शून्य स्तर पर आने लगते हैं, जबकि इस साल नवंबर के आखिर तक भी सिर्फ कम हुए हैं, खत्म नहीं।

सेंटर फार साइंस एंड एन्वाययरमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी बताती हैं, इस सीजन में पराली जलाने की धीमी शुरुआत देखी गई । आमतौर पर नवंबर तक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले कम होने लगते हैं। लेकिन, इस बार अक्टूबर में यह मामले ज्यादा नहीं थे, जबकि नवंबर के पहले सप्ताह में बढ़ने लगे।

हालांकि प्रदूषण का चरम मुख्य रूप से दिल्ली- एनसीआर में स्थानीय प्रदूषकों के कारण है। चौधरी के मुताबिक, ''वर्तमान में दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली के धुएं की हिस्सेदारी महज दो से छह प्रतिशत है, जिसका अर्थ है कि अब हम जो गंभीर प्रदूषण स्तर देख रहे हैं, वह दिल्ली के स्थानीय प्रदूषण का परिणाम है। इसलिए स्थानीय प्रदूषण स्त्रोतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।

वहीं मौसम विभाग के पर्यावरण और अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने बताया कि पराली की आग के साथ इस माह स्थानीय मौसम भी प्रदूषकों के फैलाव के लिए प्रतिकूल था। दिल्ली ने इस माह कई दिन देखे जब धीमी और शांत हवाएं दर्ज की गईं। सोनी ने कहा, ''जहां आमतौर पर नवंबर प्रदूषण के लिए एक बुरा माह होता है, वहीं इस बार हमने कई दिनों में धीमी और शांत हवाएं भी देखीं।'' “पूर्वानुमान कहता है कि मंगलवार को भी अधिक सुधार के आसार नहीं है। प्रदूषण का स्तर बहुत खराब श्रेणी में ही रहने की संभावना है।''

नवंबर माह में दिल्ली का एयर इंडेक्स (एक से 29 तारीख)

एक नवंबर - 281

दो नवंबर - 303

तीन नवंबर - 314

चार नवंबर - 399

पांच नवंबर - 469

छह नवंबर - 437

सात नवंबर - 428

आठ नवंबर - 390

नौ नवंबर - 404

10 नवंबर - 372

11 नवंबर - 411

12 नवंबर - 471

13 नवंबर - 437

14 नवंबर - 330

15 नवंबर - 353

16 नवंबर - 403

17 नवंबर - 375

18 नवंबर - 347

19 नवंबर - 381

20 नवंबर - 374

21 नवंबर - 349

22 नवंबर - 311

23 नवंबर - 290

24 नवंबर - 361

25 नवंबर - 400

26 नवंबर - 406

27 नवंबर - 402

28 नवंबर - 405

29 नवंबर - 389 

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