Delhi: हलाल नियंत्रण मंच ने कहा हलाल के नाम पर की जा रही है पशु क्रूरता, लगे प्रतिबंध

दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में प्रेसवार्ता करते हुए हलाल नियंत्रण मंच के प्रवक्ता व पूर्व न्यायाधीश पवन कुमार व सरदार हरेंद्र सिंह सिक्का ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) 1860 की धारा 428 व 429 के तहत जानवरों के प्रति हिंसा व क्रूरता रोकने का प्रावधान है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 30 Dec 2020 01:03 PM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 01:03 PM (IST)
Delhi: हलाल नियंत्रण मंच ने कहा हलाल के नाम पर की जा रही है पशु क्रूरता, लगे प्रतिबंध
भारतीय संविधान में पशुओं की सुरक्षा एक मौलिक कर्तव्य है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हलाल को हलाल नियंत्रण मंच ने पशु क्रूरता करार दिया है। मंच ने इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए सरकार को तुरंत कदम उठाने की मांग की है। दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में प्रेसवार्ता करते हुए हलाल नियंत्रण मंच के प्रवक्ता व पूर्व न्यायाधीश पवन कुमार व सरदार हरेंद्र सिंह सिक्का ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) 1860 की धारा 428 व 429 के तहत जानवरों के प्रति हिंसा व क्रूरता रोकने का प्रावधान है। इतना ही नहीं भारतीय संविधान में पशुओं की सुरक्षा एक मौलिक कर्तव्य है। ऐसे में पशुओं पर क्रूरता को रोका जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक समुदाय विशेष के लोग हलाल तरीके से पशुओं को क्रूरता के साथ मारते हैं। जबकि भारत में यह पूरी तरह से गैरकानूनी व असंवैधानिक है। मंच के प्रवक्ता ने आगे बताया कि बेल्जियम सरकार द्वारा हलाल पर लगाए गए प्रतिबंध को यूरोपियन कोर्ट आफ जस्टिस ने भी सही ठहराते हुए यूरोपियन देशों को इस तरह के प्रतिबंध लगाने के लिए स्वतंत्र कर दिया था। उन्होंने कहा कि बेल्जियम सरकार के साथ ही बौद्ध के विरोध के चलते श्रीलंका में भी इसे बंद किया गया है। इसके अलावा जर्मनी, फ्रांस, पोलैण्ड, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में इसके विरुद्ध आवाज उठाई जा रही है।

पवन कुमार व सरदार हरेंद्र सिंह  सिक्का ने कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने हाल ही में आदेश जारी किया है कि रेस्तरां और मांस की दुकानों में हलाल और झटका का मांस बेचने पर यह बताना होगा कि वह किसका मांस बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दक्षिणी निगम ने किया है, ऐसे ही देश की सभी नगर पालिकाओं और पंचायतों को यह फैसला लेना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि हलाल के तहत पशु की थोड़ी सी गर्दन काटकर उसे खून बहने के लिए छोड़ दिया जाता है। इससे पशु की जान तड़प-तड़प के निकलती है। जबकि झटका के तहत पशु की गर्दन एक बार में ही पूरी तरह से काट दी जाती है। इससे वह तड़प-तड़प के नहीं मरता। हलाल तरीके से मांस खाना मुस्लिम समुदाय में प्रचलित है जबकि सिखों में झटका। 

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