इस बार भी दीवाली पर दिल्ली-NCR पर होगा जहरीले वायु प्रदूषण का अटैक

पंजाब और हरियाणा में धान की कटाई का सीजन मानसून की विदाई के बाद यानी अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से जोर पकड़ेगा और फिर नवंबर के दूसरे सप्ताह तक जारी रहेगा। ऐसे में दीवाली पर वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में जा सकता है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 10:05 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 10:05 AM (IST)
इस बार भी दीवाली पर दिल्ली-NCR पर होगा जहरीले वायु प्रदूषण का अटैक
इस बार भी दीवाली पर दिल्ली-NCR पर होगा जहरीले वायु प्रदूषण का अटैक, रहना होगा सावधान

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर भले प्रतिबंध लग गया हो, लेकिन दिवाली पर हवा तब भी दमघोंटू ही होगी। पराली का धुआं तो हवा में जहर घोलेगा ही, एनसीआर क्षेत्र में जलने वाले पटाखों का धुआं स्थिति को और गंभीर बनाएगा। पर्यावरण विशेषज्ञ भी इस सच से इनकार नहीं कर रहे। जानकारी के मुताबिक, धान की कटाई शुरू हो गई है लेकिन मानसून की बारिश जारी रहने से मामला ढीला चल रहा है। कटाई की रफ्तार भी अभी मंद है और पराली जलाने की घटनाएं भी सामने नहीं आ रही हैं। हालांकि पंजाब में छिटपुट घटनाएं हो रही हैं पर बारिश के असर से उसका धुआं वहीं खत्म हो जा रहा है। ऐसे में धान की कटाई का सीजन मानसून की विदाई के बाद यानी अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से जोर पकड़ेगा और फिर नवंबर के दूसरे सप्ताह तक जारी रहेगा।

मौसम विज्ञानी और पर्यावरण विशेषज्ञ बताते हैं कि अक्टूबर मध्य से हवा की दिशा उत्तर- पश्चिमी होने लगेगी और तापमान में भी गिरावट आनी शुरू हो जाएगी। ऐसे में पराली का धुआं हरियाणा-पंजाब से सीधे दिल्ली पहुंचेगा। दिवाली नवंबर के पहले सप्ताह में पड़ रही है। इस दौरान हवा काफी खराब रह सकती है। एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगा है। वहां पटाखे जलना तय है। पिछले साल की दिवाली पर गौर करें तो तब भी दिल्ली में पटाखे प्रतिबंधित थे, लेकिन तब भी जले और हवा की गुणवत्ता प्रभावित हुई। इस बार भी कमाबेश वही स्थिति बनती नजर आ रही है। दरअसल, मानसून के देर तक सक्रिय रहने से पराली जलाने का क्रम भी थोड़ा खिसक गया है और इसी के बीच दिवाली का त्योहार आ रहा है। दूसरी तरफ कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा- पंजाब के किसान इस बार भी पराली जलाने की बात कह रहे हैं।

डा एके सिंह (निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा) का मानना है कि  धान की कटाई शुरू हो चुकी है। पराली जलाने की छिटपुट घटनाएं भी जानकारी में आई हैं, लेकिन अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से कटाई और पराली जलाने की घटनाएं दोनों जोर पकड़ सकती हैं। हालांकि इस वर्ष बायो डिकंपोजर का इस्तेमाल भी सभी संबंधित राज्यों में बड़े पैमाने पर होने जा रहा है। आने वाला समय ही बताएगा कि कितना सुधार होता है, कितना नहीं। 

एस नारायणन (सदस्य सचिव, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) का कहना है कि धान की कटाई तो चल रही है, लेकिन हरियाणा में अभी तक पराली जलाने का कोई मामला सामने नहीं आया है। पंजाब में शायद छिटपुट घटनाएं हुई हैं। फसल कटाई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से जोर पकड़कर नवंबर के मध्य तक चलेगी। इसी दौरान पराली जलाने की घटनाएं भी सामने आ सकती हैं। हालांकि एहतियातन सभी कदम उठाए जा रहे हैं।  

डा दीपांकर साहा (सदस्य, विशेषज्ञ समिति, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय) ने बताया कि मानसून खत्म होते ही घान की कटाई और पराली जलाने के मामलों में इजाफा होने लगेगा। दिल्ली की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि इसके 300 किमी के दायरे में होने वाली प्रदूषणकारी हर घटना का असर यहां तक आना ही है। दिवाली भी इसी दौरान पड़ेगी। ऐसे में दम घुटना भी लगभग तय है।

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