लाकडाउन व कृषि कानून आंदोलन के बाद बारिश व तेज हवा ने फेरा किसानों की उम्मीदों पर पानी, वजह जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर
राजधानी दिल्ली में दो दिन से हो रही बारिश व तेज हवा ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। दिल्ली देहात के सैकड़ों एकड़ खेतों में धान की फसल औंधे मुंह गिर गई है। सरसों की फसल भी नष्ट हो गई है।
नई दिल्ली [सोनू राणा]। राजधानी दिल्ली में दो दिन से हो रही बारिश व तेज हवा ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। दिल्ली देहात के सैकड़ों एकड़ खेतों में धान की फसल औंधे मुंह गिर गई है। इसके साथ ही पालक की फसल बारिश से गल गई है और सरसों की फसल भी नष्ट हो गई है। लाकडाउन व कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों की वजह से हुए नुकसान के बाद इस बार किसान धान की फसल को देखकर गदगद थे और मन ही मन अच्छी आमदनी के सपने बुन रहे थे।
फसल खराब होने की वजह से हुए नुकसान ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। नरेला, बवाना, मुंडका व बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र के बुराड़ी गांव, बकौली, हमीदपुर, ताजपुर, पल्ला, माजरा, बख्तावरपुर, गढ़ी, टांडा, सुंगरपुर, तिगीपुर, सिंघोला, लाडपुर, ¨झगोला, रमजानपुर, मोहम्मदपुर, हिरनकी आदि गांवों में सोमवार को धान की फसल बारिश के पानी में तैरती नजर आई। न्करीब 500 एकड़ जमीन में लगाई गई पालक की फसल नष्ट हो गई है।
फसलों के नुकसान पर किसानों ने बयां किया दर्द बारिश ने इस बार किसानों को बर्बाद कर दिया है। धान व पालक की सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। धान का यही समय पकने का था और अभी फसल में बारिश का पानी भर गया है। इस वजह से फसल पानी में लेट गई है। अब चावल का दाना विकसित नहीं हो पाएगा। साथ ही पालक की फसल भी गल गई। मनोज, किसान, तिगीपुर गांव मैंने तीस एकड़ जमीन पर धान की खेती की हुई है। इसमें से कुछ धान की फसल की कटाई हो गई थी और कुछ खेतों में ही खड़ी थी। बारिश की वजह से पक कर तैयार खड़ी धान की फसल गिर गई है। जिस फसल को काटकर रखा हुआ था, वह भी खराब हो गई है। अब उसका दाना काला पड़ जाएगा। उमेश परमार, किसान, हिरनकी गांव सरसों की फसल की बीते दिनों ही बुआई की गई थी। बारिश की वजह से गांव की 50 से 60 एकड़ जमीन पर लगाई गई सरसों की फसल नष्ट हो गई है। इस वजह से खाद, बीज को मिलाकर हर किसान को हजारों रुपये का नुकसान हुआ है। अब खेतों में दोबारा से जुताई करनी पड़ेगी। सुभाष चंद्र, किसान, लाडपुर गांव बारिश से धान की सारी फसल खेत में ही लेट गई है। इस वजह से 50 फीसद तक नुकसान है। किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से हजारों रुपये का नुकसान हुआ है। इससे पैदावार तो कम होगी ही, अब धान की कटाई में मजदूरी भी ज्यादा देनी पड़ेगी। अब सात हजार रुपये मजदूरी देनी पड़ेगी। अजीत, किसान, दरियापुर