Delhi MCD Election 2022: रोटेशन में फंस सकते हैं दलबदल करने वाले BJP-AAP और कांग्रेस के नेता

Delhi MCD Election 2022 दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2011 के अनुसार नगर निगम चुनाव से पहले सभी 272 सीटों का रोटेशन करने का प्रविधान है। इस प्रक्रिया में किसी भी सीट का प्रोफाइल बदल सकता है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 10:50 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 10:50 AM (IST)
Delhi MCD Election 2022: रोटेशन में फंस सकते हैं दलबदल करने वाले BJP-AAP और कांग्रेस के नेता
Delhi MCD Election 2022: रोटेशन में फंस सकते हैं दलबदल करने वाले BJP-AAP और कांग्रेस के नेता

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। अप्रैल 2022 में होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव बहुत से नेताओं के सियासी भविष्य पर ग्रहण भी लगा सकते हैं। यह वे नेता हैं जो पार्षदी पाने के फेर में इन दिनों धड़ल्ले से अपनी पार्टी छोड़ नई का दामन थामने में लगे हैं। बेशक ये नेता दूसरी पार्टी में जाने से पहले अपनी टिकट को लेकर पक्का आश्वासन ले रहे हैं, लेकिन अगर सीट का प्रोफाइल ही बदल गया तो आश्वासन भी किस काम का! फिर न नेताजी के दावे में मजबूती रह जाएगी और न ही नई पार्टी पर वायदा निभाने का दबाव।

दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2011 के अनुसार नगर निगम चुनाव से पहले सभी 272 सीटों का रोटेशन करने का प्रविधान है। चुनाव लड़ने में सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न फार्मूलों के तहत रोटेशन की प्रक्रिया पर काम होता है। इस प्रक्रिया में किसी भी सीट का प्रोफाइल बदल सकता है। अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित सीट इसी वर्ग में महिला के लिए आरक्षित हो सकती है तो सामान्य श्रेणी की कोई सीट कहीं महिला के लिए आरक्षित की जा सकती है और कहीं पूर्व में महिला के लिए आरक्षित सीट को सामान्य में लाया जा सकता है।

जानकारी के मुताबिक पिछली बार अप्रैल 2017 में हुए निगम चुनावों के लिए सीटों के रोटेशन की अधिसूचना छह फरवरी 2017 को प्रकाशित हुई थी। इस बार भी जनवरी 2022 में मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद ही इसकी घोषणा किए जाने की संभावना है कि कौन सी सीट अपने पूर्ववर्ती स्वरूप में रहेगी और किन किन सीटों का प्रोफाइल बदल जाएगा। इस आशय की घोषणा और अधिसूचना के बाद ही विभिन्न्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रत्याशी चयन की भूमिका को अंतिम रूप दिया जाएगा।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो बहुत से नेता दूसरे दलों में इसीलिए जा रहे हैं कि उस पार्टी की टिकट पर पार्षदी सुनिश्चित हो जाएगी। लेकिन रोटेशन की यह प्रक्रिया उनके अरमानों पर पानी भी फेर सकती है। कारण, जिस पार्टी में वे लंबे समय से हैं, वहां तो रोटेशन के बाद भी उनके किसी परिजन को ही टिकट मिल सकती है लेकिन दूसरी पार्टी में इसकी कोई गारंटी नहीं ली जा सकती। बताया जाता है कि पार्टी बदलने की सबसे ज्यादा होड़ कांग्रेसियों में लगी है और अभी तक जो कांग्रेसी पार्टी को अलविदा कहकर गए हैं, उनमें से बहुतों की सीट इस बार रोटेशन में बदलने वाली है।

राज्य चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2011 में दिए गए प्रविधानों के अनुसार पहले भी रोटेशन हुआ है और नियमानुसार आगे भी रोटेशन या परिसीमन किया जाएगा। इतना जरूर है कि नवंबर में चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव हैं, दिल्ली के राज्य चुनाव आयुक्त के पास इसकी भी जिम्मेदारी है। लिहाजा, इसके बाद ही दिल्ली नगर निगम चुनाव से जुड़ी प्रक्रिया जोर पकड़ेगी। 

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