सरकार अस्पतालों द्वारा मरीजों से वसूले जा रहे मनमाने बिल पर करें निर्णय : हाई कोर्ट

पीठ ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि सभी अस्पतालों व मेडिकल एसोसिएशन के साथ एक बैठक बुलाकर इस पर चर्चा करें। पीठ ने कहा कि बैठक में अदालत मित्र को भी आमंत्रित किया जाये और दिल्ली सरकार इस पर स्थिति रिपोर्ट पेश करे।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 07:10 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 07:52 AM (IST)
सरकार अस्पतालों द्वारा मरीजों से वसूले जा रहे मनमाने बिल पर करें निर्णय : हाई कोर्ट
दिल्ली सरकार को दिया स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। अस्पतालों द्वारा काेरोना मरीजों से एकमुश्त धनराशि लेने के बाद भी विभिन्न मदों के नाम पर की जा रही मोटी वसूली के मामले को दिल्ली हाई कोर्ट ने गंभीर बताया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि अधिवक्ता अभय गुप्ता द्वारा उठाया गया मामला गंभीर है और पेश किए गए दस्तावेजों में साफ दिखता है कि ब्रैकेट चार्ज तय होने के बावजूद भी अस्पतालों द्वारा विभिन्न मदों में मरीजों से पैसा लिया जा रहा है, जो कि प्राथमिक तौर पर ब्रैकेट चार्ज का हिस्सा ही है। पीठ ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि सभी अस्पतालों व मेडिकल एसोसिएशन के साथ एक बैठक बुलाकर इस पर चर्चा करें। पीठ ने कहा कि बैठक में अदालत मित्र को भी आमंत्रित किया जाये और दिल्ली सरकार इस पर स्थिति रिपोर्ट पेश करे।

पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि हमारी संतुलन की भावना होनी चाहिए। सरकार एक छोर से दूसरे छोर तक पेंडुलम की तरह नहीं झूल सकती। पीठ ने कहा कि जब वर्ष 2020 में आपने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अधिकतम 18 हजार रुपये लिए जाने का आदेश दिया था तो फिर आपने इस पर इस वर्ष क्यों कुछ नहीं किया। पीठ ने कहा संभव है कि उक्त धनराशि पिछले वर्ष के हिसाब से उचित हो, लेकिन इस वर्ष के लिए न हो। ऐसे मे हम चाहते हैं कि सभी हितकारों से चर्चा करके इस पर निर्णय करें। पीठ ने कहा कि कुछ पारदर्शिता होनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई व्यक्ति एक लाख तो कोई पचास हजार वसूल रहा है।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभय गुप्ता ने अस्पतालों द्वारा की जा रही मनमानी वसूली का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने इस पर जवाब नहीं दाखिल किया है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के अधिवक्ता सत्यकाम ने कहा कि अधिक बिल देने को लेकर किसी ने भी शिकायत नहीं की है। इसके जवाब में अभय गुप्ता ने एक न्यायिक अधिकारी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें अस्पताल की मोटी फीस भरने को कहा गया था। अभय ने कहा कि अगर एक न्यायिक अधिकारी की स्थिति है, तो आम लोगों की स्थिति की कल्पना करें।

इस पर पीठ ने कहा कि इस स्थिति को इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि किसी ने शिकायत नहीं की है। इस पर स्टैंडिंग काउंसल राहुल मेहरा ने कहा कि कम से कम महामारी में सरकार से ही नहीं एक संगठन के तौर पर हमें कुछ जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

हम सभी पहले मनुष्य हैं और हमें समझना चाहिए हम क्या कर रहे हैं। हमें महामारी के समय को व्यापार का अवसर नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने पीठ ने कहा कि यह अहम मामला और सरकार इस मामले पर गंभीरता से चर्चा करके जवाब दाखिल करेगी।

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