पुरानी इमारतों व धार्मिक स्थलों के सरंक्षण के लिए डीडीए ने बनाया समर्पित प्रकोष्ठ, सरकारी जमीनों पर भी हुई चर्चा

मास्टर प्लान 2041 पर काम कर रहे दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारियों को विरासत का संरक्षण करने के लिए जनता से विभिन्न सुझाव मिले हैं। इनमें पुरानी दिल्ली में स्थापित विरासत के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित प्रकोष्ठ की स्थापना का सुझाव भी शामिल है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 04:17 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 04:17 PM (IST)
पुरानी इमारतों व धार्मिक स्थलों के सरंक्षण के लिए डीडीए ने बनाया समर्पित प्रकोष्ठ, सरकारी जमीनों पर भी हुई चर्चा
डीडीए अब तक 14 दौर की सुनवाई कर चुका है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। मास्टर प्लान 2041 पर काम कर रहे दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारियों को विरासत का संरक्षण करने के लिए जनता से विभिन्न सुझाव मिले हैं। इनमें पुरानी दिल्ली में स्थापित विरासत के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित प्रकोष्ठ की स्थापना का सुझाव भी शामिल है। शाहजहानाबाद या पुरानी दिल्ली को मुगलों द्वारा 17वीं शताब्दी में अपनी शाही राजधानी के रूप में बनाया गया था। यह जगह पुरानी इमारतों, घरों, दुकानों, सदियों पुरानी हवेलियों और धार्मिक स्थलों से संपन्न है। इनमें प्रतिष्ठित जामा मस्जिद और अन्य इमारतें भी शामिल हैं।

लोगों ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) या शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम (एसआरडीसी) में विरासत प्रकोष्ठ बनाने का सुझाव दिया है। डीडीए द्वारा तैयार किया गया मसौदा मास्टर प्लान 2041 जून की शुरुआत में डीडीए की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था और जनता के सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की गईं, इसे भेजने की अंतिम तिथि 23 अगस्त थी। डीडीए के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक बोर्ड आफ इंक्वायरी 18 अक्टूबर से इस मसौदे पर जनता की आपत्तियों और सुझावों पर सुनवाई एवं विचार कर रहा है। डीडीए अब तक 14 दौर की सुनवाई कर चुका है। बोर्ड आफ इंक्वायरी एंड हिय¨रग की 10वीं और 11वीं बैठक के दौरान हेरिटेज जोन और पुरानी दिल्ली के भौतिक बुनियादी ढांचे का उन्नयन, अनुमत गतिविधियों की मंजूरी, भवन की ऊंचाई में वृद्धि, विरासत संरचनाओं के संरक्षण, पार्किंग मानदंडों में छूट, अतिक्रमण से संबंधित मुद्दे सरकारी जमीन पर चर्चा की गई।

नवंबर के अंत में एक बैठक में, 'विरासत संरचनाओं के संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता के लिए अपर्याप्त प्रविधान' के संबंध में सुझाव दिए गए थे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उल्लेखित कार्य के लिए एनडीएमसी या एसआरडीसी में एक विरासत प्रकोष्ठ बनाया जा सकता है। यदि संपत्ति के भीतर पार्किंग की जगह उपलब्ध नहीं है तो उस स्थिति में मालिक शेष ईसीएस (समतुल्य कार स्थान) के लिए पार्किंग शुल्क का भुगतान कर सकते हैं।

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