पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए एक सोसायटी में लगाई डेटा कलेक्शन मशीन

पटपड़गंज ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले पार्थो ने प्रदूषण के बारे में जानकारी करने के लिए खुद ही मशीन लगाई है।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 03:21 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 03:24 PM (IST)
पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए एक सोसायटी में लगाई डेटा कलेक्शन मशीन
पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए एक सोसायटी में लगाई डेटा कलेक्शन मशीन

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रदूषण को लेकर दिनोंदिन लोगों में जागरूकता आ रही है। अब लोग खुद ही कई तरह की मशीनें लगाकर प्रदूषण के बारे में जानकारी कर रहे हैं जिससे वो एडवांस में उससे बचाव कर सकें। दिल्ली-एनसीआर में हर साल अक्टूबर माह में प्रदूषण के हालात खराब होने शुरू होते हैं वो फरवरी तक बरकरार रहते है। दिल्ली के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां पर दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से मशीनें लगाई गई हैं वहां से नियमित तौर पर प्रदूषण के डेटा मिलते रहते हैं मगर उसके बाद भी कुछ लोगों ने अपने घरों और सोसायटी पर मशीनें लगाई हैं जिससे वो डेटा कलेक्ट करके उसका तुलनात्मक अध्ययन कर पाएं। 

पटपड़गंज ग्रुप हाउसिंग सोसायटी 

पूर्वी दिल्ली में आनंद विहार आइएसबीटी का इलाका सबसे अधिक प्रदूषित है। इसके पास ही पटपड़गंज ग्रुप हाउसिंग सोसायटियां हैं, यहां लगभग 119 ग्रुप हाउसिंग सोसायटी है। इनमें लाखों लोग रहते हैं। पटपड़गंज की ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में ही पार्था बोसु हैं। वो काफी समय से पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि वैसे तो सरकारी विभागों के पास काफी महंगी मशीनें होती है उनसे जो डेटा मिलते हैं वो काफी सटीक होते है। उन्होंने जो मशीन अपनी सोसायटी की छत पर लगाई है उससे भी पलूशन के ही डेटा मिल रहे हैं। उनका कहना है कि वेबसाइटों पर जो डेटा मिलता है वो उसके डेटा से मिलने वाले डेटा से अपने डेटा की तुलना करते हैं। उसके बाद मौसम में होने वाले बदलाव, हवा में धूल के प्रदूषित कणों की मात्रा सहित अन्य चीजों का पता चल जाता है।

 

पर्यावरण के लिए लोगों को करते हैं जागरुक 

पार्था का कहना है कि वो पर्यावरण के लिए काम करने वाली कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। उन्होंने जो मशीन लगा रखी है वो उसके डेटा उन संस्थानों को भी देते हैं। इसके अलावा उन लोगों को पर्यावरण के बारे में और भी जानकारियां देते हैं। लगभग 20 साल से इसी तरह से पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने चीन से मंगाकर ये मशीन सोसायटी की छत पर लगाई है जिससे प्रदूषण के सटीक डेटा मिल सकें। नवंबर माह में जब से पंजाब में पराली जलाई गई है उसके बाद से लगातार हालात खराब बने हुए हैं। अभी तक दिल्ली-एनसीआर की हवा ठीक नहीं हो पाई है।  

chat bot
आपका साथी