उत्तरी और दक्षिणी निगम क्षेत्र में कुत्तों के लिए बनाए जाएंगे शवदाह गृह, पढ़िए विभाग की पूरी प्लानिंग

निगमों ने दो शवदाह गृह स्थल बनाने का फैसला लिया है। आने वाले साल में ये स्थल तैयार हो जाएगे। इसमें एक शवदाह गृह स्थल उत्तरी निगम क्षेत्र में होगा तो वहीं दूसरा शवदाह गृह स्थल दक्षिणी निगम क्षेत्र में द्वारका सेक्टर-29 में बनाया जाएगा।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 12:18 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 12:18 PM (IST)
उत्तरी और दक्षिणी निगम क्षेत्र में कुत्तों के लिए बनाए जाएंगे शवदाह गृह, पढ़िए विभाग की पूरी प्लानिंग
सभी जोन में कम से कम एक-एक डाग पार्क बनाने की हमारी योजना है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में पालतू कुत्तों के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए निगमों ने दो शवदाह गृह स्थल बनाने का फैसला लिया है। आने वाले साल में ये स्थल तैयार हो जाएगे। इसमें एक शवदाह गृह स्थल उत्तरी निगम क्षेत्र में होगा तो वहीं दूसरा शवदाह गृह स्थल दक्षिणी निगम क्षेत्र में द्वारका सेक्टर-29 में बनाया जाएगा। उत्तरी निगम के आयुक्त संजय गोयल के अनुसार निगम इसके लिए परियोजना तैयार कर रहा है। हाल ही हमने पालतू कुत्तों के लिए एक डाग पार्क करोलबाग में बनाया है।

सभी जोन में कम से कम एक-एक डाग पार्क बनाने की हमारी योजना है। इसके साथ ही हम शवदाह गृह बनाने की योजना तैयार कर रहे हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से इसके लिए स्थान उपलब्ध कराने के लिए आग्रह किया गया है। इसी तरह दक्षिणी निगम के पशु चिकित्सा विभाग के निदेशक रविंद्र शर्मा ने बताया कि द्वारका सेक्टर-29 में 700 वर्ग मीटर क्षेत्र में यह शवदाह गृह बनाया जाना है। इसमें एयर प्यूरीफायर जैसी सुविधा भी होगी। इसके लिए 30 किलो वजन वाले मृत कुत्ते के शव को दाह करने के लिए दो हजार रुपये तो वहीं 30 किलो से अधिक वजन वाले मृत कुत्ते के लिए तीन हजार रुपये का शुल्क तय किया गया है।

शवदाह में एक से डेढ़ घंटे का समय लगेगा, जबकि इसे ठंडा होने में 30 मिनट का समय लगेगा। अधिकारी ने बताया कि इसमें रैबीज पीड़ित कुत्तों को वरीयता दी जाएगी। विभाग के अनुसार 10 में से एक परिवार कुत्ता पाल रहा है। ऐसे में पालतू कुत्तों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था न होने पर लोग पार्को या दिल्ली के बार्डर इलाके में खाली स्थानों पर इन मृत कुत्तों को दफनाते थे, वहीं गलियों में घूमने वाले बेसहारा कुत्तों के लिए भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी। निगम की ओर से तैयार होने वाले इन शवदाह गृहों में इन कुत्तों का भी वैज्ञानिक तरीकों से दाह किया जा सकेगा।

सुधरेगा स्वच्छता का स्तर

पालतू और बेसहारा कुत्तों के वैज्ञानिक तरीके से दाह संस्कार की व्यवस्था हो जाने से स्वच्छता का स्तर भी सुधरेगा। फिलहाल, देखने में आता है कि बेसहारा कुत्तों के मृत होने पर कई-कई दिन तक ये इलाके में पड़े रहते हैं। इतना ही नहीं, सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले जानवरों का भी दाह संस्कार नहीं हो पाता है। इससे गंदगी भी फैलती है। जब इसकी व्यवस्था होगी तो एजेंसियों को ऐसे भी कुत्तों के अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।

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