दिल्ली : सभापुर गांव के युवाओं ने पैसे इकट्ठा कर तैयार किया श्मशान घाट

सभापुर गांव में कोई श्मशान घाट न होने के कारण यहां के लोगों ने सरकार को अपनी जमीनें दी। बाद में गांव के ही युवाओं ने ही दिन रात मेहनत कर इस क्षेत्र को विकसित कर यहां श्मशान घाट बनाकर तैयार किया।

By Neel RajputEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 04:10 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 04:10 PM (IST)
दिल्ली : सभापुर गांव के युवाओं ने पैसे इकट्ठा कर तैयार किया श्मशान घाट
गांव के लोगों ने श्मशान घाट बनाने के लिए दान में दी चार हजार गज जमीन

नई दिल्ली [रितु राणा]। जो लोग अपने कदमों की काबिलियत पर विश्वास रखते हैं वह अक्सर अपनी मंजिल पर पहुंचते हैं। अर्थात मेहनत और कुछ करने की लगन हो तो व्यक्ति के लिए कोई कार्य असंभव नहीं है। इस बात का उदाहरण हैं सभापुर गांव के निवासी सुनील कुमार व उनके साथी। सभापुर गांव में कोई श्मशान घाट न होने के कारण यहां के लोगों ने सरकार को अपनी जमीनें दी। बाद में गांव के ही युवाओं ने ही दिन रात मेहनत कर इस क्षेत्र को विकसित कर यहां श्मशान घाट बनाकर तैयार किया।

सभापुर गांव दिल्ली का सबसे बड़ा गांव है जिसकी आबादी करीब 15 हजार है। इस क्षेत्र में कोई श्मशान घाट न होने के कारण सभी ग्रामवासियों को यमुना नदी के किनारे ही दिवंगत का अंतिम संस्कार करने जाना पड़ता था। लोगों ने कई बार सरकार से यहां पक्का श्मशान घाट बनाने की मांग रखी लेकिन ग्रामवासियों की मांग पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। श्मशान घाट बनाने के लिए 2010 में सभापुर के लोगों ने सुनील चौधरी के नेतृत्व में एक पंचायत का आयोजन किया, जिसमें सभी सभापुर गांव ने मिलकर अपनी चार हजार गज जमीन श्मशान घाट के लिए सरकार को दान देने का निर्णय किया। सुनील ने बताया कि जमीन दान के बाद गांव के लोगों द्वारा काफी प्रयास किया गया कि सरकार इस श्मशान घाट को विकसित करें लेकिन बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में आने के कारण इस जमीन को विकसित करने के लिए सरकारी फंड नहीं मिल सका। इसके बाद फिर 2013 में फिर एक पंचायत बैठी जिसमें सुनील कुमार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि गांव में हर घर से एक-एक हजार रुपए इकट्ठे किए जाएं और इस जमीन पर श्मशान घाट बनाया जाए और इस विचार का पंचायत ने भी सहयोग किया।

सुनील ने बताया कि श्मशान घाट की जमीन को विकसित करने के लिए एक साल तक थोड़े थोड़े रुपये सभी गांव वालों से इकट्ठे किए गए और श्मशान घाट को विकसित करने का काम शुरू किया गया। शुरू में वहां पर टीन की शेड डाली गई। जिसे कुछ दिन बाद ही कुछ चोर उखाड़ कर ले गए। इसके बाद 2015 में गांव के लोगों ने फंड इकट्ठा कर यहां लेंटर की छत बनवाई। इतने संघर्ष व प्रयासों के बाद भी थोड़ी कमी रह गई क्योंकि यह जमीन यमुना किनारे थी और यमुना में बाढ़ आने के बाद इस जगह में बार बार पानी भर जाता था। इसके बाद इस श्मशान घाट के कार्य को पूरा करने का संकल्प सभापुर गांव के युवाओं ने लिया।

सुनील कुमार ने सभापुर गांव के किसान परिवार के सभी ट्रैक्टर ट्रॉली वाले युवाओं को अपने साथ इस कार्य में जोड़ा व सहयोग की अपील की। जिसके लिए सभी युवा तैयार हो गए व सभी ने मिलकर ट्रैक्टर ट्रॉली द्वारा श्मशान घाट को ऊंचा करने के लिए मिट्टी का भराव कार्य शुरू किया। इस नेक कार्य में सुनील चौधरी के साथ गांव के युवा टिंकू, गब्बू, सूबे, रविंदर सुदेश, चंचल शर्मा, सूरज, विनोद, कपिल, बबलू, दीपक, मोहित व कपिल, श्रीनिवास, प्रमोद शर्मा, निरंजन, भूपेंद्र, व मनीष का सहयोग रहा। उन्होंने हर कदम पर सुनील के साथ श्मशान घाट के कार्य को पूरा करने के लिए दिन रात एक कर गांव वालों को श्मशान घाट तैयार करके दिया। गांव के लोगों के भरसक प्रयासों के बाद 2018 में यह श्मशान घाट के आसपास भराव करके इसे पूरी तरह तैयार कर दिया गया। अब पेड़ पौधे लगाकर इसका सुंदरीकरण भी कर दिया गया है और अब यहां बाढ़ आने के कारण पानी भरने का भी कोई खतरा नहीं है।

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