उपचार में नहीं पर निगरानी सूची में हैं बरकार, कोरोना में अब तक इस्तेमाल हो रही कई दवाओं का हाल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कोरोना महामारी के इलाज में इस्तेमाल हो रही कई दवाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पर ये अब भी दिल्ली सरकार व दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की निगरानी सूची में जगह बनाए हुए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 06:45 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 08:12 AM (IST)
उपचार में नहीं पर निगरानी सूची में हैं बरकार, कोरोना में अब तक इस्तेमाल हो रही कई दवाओं का हाल
डब्ल्यूएचओ व आइसीएमआर ने इलाज से किया बाहर, पर डीडीएमए की निगरानी सूची में बरकरार

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कोरोना महामारी के इलाज में इस्तेमाल हो रही कई दवाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पर ये अब भी दिल्ली सरकार व दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की निगरानी सूची में जगह बनाए हुए हैं। इससे दिल्ली के 15 हजार से अधिक दवा विक्रेता परेशानी में हैं। क्योंकि डीडीएमए के एक आदेश के बाद पिछले माह से ही उन्हें कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल हो रहे आठ दवाओं की सूची न सिर्फ दुकान के बाहर चस्पां करनी है। बल्कि हर चार घंटे में इसे लेकर नवीनतम जानकारी को भी साझा करना है।

इन दवाओं से होता है दूसरी बीमारी में इलाज

कई दवा दुकानदार कानूनी झंझट से बचने के लिए अब इन दवाओं को रखने से परहेज करने लगे हैं। जबकि इनका प्रयोग मुख्य रूप से दूसरी बीमारियों में होता आ रहा है। ऐसी ही एक दवा आइवरमेक्टिन टेबलेट्स है, जिसका इस्तेमाल आम तौर पर पेट के इंफेक्शन के इलाज में चिकित्सक लिखते हैं। इसी तरह डाक्सीसाइक्लिन एंटी बायोटिक टेबलेट्स व कैप्सूल है, जिसका प्रयोग सांस से संबंधित बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होता है, लेकिन कोरोना में इलाज में प्रयोग के चलते ये अब तक ये आठ दवाओं की निगरानी सूची में जगह बनाए हुए हैं। हालांकि, हाल ही में इन दोनों दवाओं को आइसीएमआर ने कोरोना इलाज से बाहर कर दिया है। रिटेल ड्रिस्ट्रिब्यूशन केमिस्ट एलायंस के अध्यक्ष संदीप नांगिया ने कहा कि इस संबंध में दिल्ली सरकार को कई पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।

कानूनी पचड़े से बचने के लिए रखने से कर रहे परहेज

दिल्ली ड्रग ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव आशीष ग्रोवर ने कहा कि स्थिति यह कि कई दवा विक्रेता किसी कानूनी पचड़े से बचने के लिए इन दवाओं को रखने से बचने लगे हैं। यह स्थिति ठीक नहीं है। वैसे, फेविफीवर दवा के साथ अलग प्रकार की दिक्कत है। इसे भी कोरोना इलाज से बाहर का रास्ता दिखा तो दिया गया है, पर यह इसी के इलाज के लिए इजाद किया गया। इसका किसी दूसरी बीमारी में इस्तेमाल नहीं होता है। लेकिन, बाजार में इसका स्टाक है। एक दवा विक्रेता राजीव भाटिया कहते हैं कि इसका एक पत्ता एक हजार रुपये का आता है। दिक्कत यह कि अब इसकी मांग नहीं है और कंपनी इसे वापस नहीं ले रही है।

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