कोरोना काल में दिल्ली में 17 गुना बढ़ा कोविड बायोमेडिकल वेस्ट, ठीक से निस्तारण नहीं होने से फैल सकती है बीमारी

पिछले एक साल में कोविड वेस्ट जहां 17 गुना बढ़ गया है। वहीं इसके निस्तारण के प्लांट अब भी सिर्फ दो ही हैं। नए प्लांट लगाने की योजना बनी जरूर है लेकिन फाइलों से आगे नहीं बढ़ सकी है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 12:43 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 12:43 PM (IST)
कोरोना काल में दिल्ली में 17 गुना बढ़ा कोविड बायोमेडिकल वेस्ट, ठीक से निस्तारण नहीं होने से फैल सकती है बीमारी
कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर भी राजधानी के अस्पताल अभी तक पूरी तरह से गंभीर नहीं हुए हैं।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कोरोना महामारी के बीच दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की ही नहीं, बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण व्यवस्था की भी कलई खुल गई है। आलम यह है कि पिछले एक साल में कोविड वेस्ट जहां 17 गुना बढ़ गया है। वहीं इसके निस्तारण के प्लांट अब भी सिर्फ दो ही हैं। नए प्लांट लगाने की योजना बनी जरूर है, लेकिन फाइलों से आगे नहीं बढ़ सकी है। मार्च 2020 में दिल्ली में कोविड बायो मेडिकल वेस्ट की मात्रा केवल 33 टन थी।

अप्रैल में यह बढ़कर 238 टन हो गई। जुलाई में यह और बढ़कर 511 टन हो गई जबकि मौजूदा समय में 563 टन प्रतिमाह चल रही है। दूसरी तरफ 11 जिलों में बंटी दिल्ली में इस वेस्ट का निस्तारण करने के लिए अभी भी केवल दो बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट चल रहे हैं। दोनों ही दिल्ली स्वास्थ्य सेवाएं के अधीन हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि आक्सीजन प्रबंधन की तरह कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर भी राजधानी के अस्पताल अभी तक पूरी तरह से गंभीर नहीं हुए हैं। इसलिए इन दिनों प्रति माह औसतन 550 टन से ज्यादा कोविड मेडिकल वेस्ट निकल रहा है। विशेषज्ञ इसकी वजह कामन मेडिकल वेस्ट और कोविड मेडिकल वेस्ट को अलग नहीं किए जाने को मानते हैं। उनका कहना है कि यदि कोविड वेस्ट को कामन मेडिकल वेस्ट से अलग किया जाए तो न सिर्फ इसकी मात्रा में कमी आएगी, बल्कि कामन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) पर बोझ भी कम होगा।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने दो नए सीबीडब्ल्यूटीएफ बनाने की योजना बनाई है। दोनों प्लांट बिल्ट, आपरेट, ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर बनेंगे और यह वेस्ट एकत्र करने, उसे प्लांट तक लाने तथा उसके निस्तारण तक की सारी जिम्मेदारी पूरी करेंगे। हालांकि, यह योजना पिछले छह माह से फाइलों में ही दौड़ रही है। कहने को डीपीसीसी ने इस बाबत निविदाएं भी मंगा ली हैं, लेकिन पहले इसकी अंतिम तारीख 15 फरवरी 2021 थी, जो कई बार बढ़ने के बाद अब चार जून 2021 हो गई है।

सीपीसीबी कर रहा निगरानी

कोविड बायो मेडिकल वेस्ट से संक्रमण फैलने की गंभीरता के मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) इस कोविड वेस्ट पर शुरू से ही निगरानी कर रहा है। सीपीसीबी की ओर से सभी स्थानीय निकायों, अस्पतालों, कोविड केयर सेंटर, आइसोलेशन सेंटर इत्यादि के लिए बकायदा दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।

ऐसे किया जाता है निस्तारण

कोविड बायो मेडिकल वेस्ट एकत्र कर सीबीडब्ल्यूटीएफ में भेजा जाता है, जहां पर बेहद उच्च तापमान पर इसे नष्ट किया जाता है। यही नहीं अस्पतालों में भी इस कचरे को अलग रखने की व्यवस्था की जाती है।

ये है कोविड बायो मेडिकल वेस्ट

पीपीई किट, मास्क, जूते के कवर, दस्ताने, ह्यूमन टिश्यू, रक्त लगी हुई सामग्री, ड्रेसिंग में इस्तेमाल चीजें, रुई, ब्लड बैग, निडिल आदि

एक साल में निकला कोविड मेडिकल वेस्ट साल - 2020 मार्च 33 अप्रैल 238 जुलाई 511 अगस्त 296.14 सितंबर 382.5 अक्टूबर 365.89 नवंबर 385.47 दिसंबर 321.32

2021जनवरी से मई (10) तक-प्रतिदिन 18.79 -प्रतिमाह 563.7 नोट : सभी आंकड़े टन में दिए गए हैं।

कोविड बायो मेडिकल वेस्ट का यदि ठीक तरह से निस्तारण नहीं किया जाए तो जानलेवा भी साबित हो सकता है। इससे कोरोना संक्रमण फैलने के साथ ही कई अन्य गंभीर बीमारियों का भी खतरा रहता है। इसलिए इसका उच्च ताप पर नियमानुसार निस्तारण किया जाना आवश्यक है। ऐसे में न केवल अस्पताल व क्वारंटाइन सेंटर बल्कि आम जनमानस की भी यह जिम्मेदारी है कि वह इसमें सहयोग करें।

डाॅ. आजाद कुमार, सदस्य, आल इंडिया इंडियन मेडिसिन ग्रेजुएट एसोसिएशन

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