Covid-19: कोरोना के मरीजों के लिए कल से एम्स में शुरू होने जा रही यह सुविधा, होगा फायदा

देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में मंगलवार से एक सुविधा शुरू होगी। इसके तहत आइसीयू में भर्ती मरीजों के परिजन ट्रॉमा सेंटर पहुंचकर मरीज को आसानी से देख सकेंगे।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 11:29 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 11:29 PM (IST)
Covid-19: कोरोना के मरीजों के लिए कल से एम्स में शुरू होने जा रही यह सुविधा, होगा फायदा
Covid-19: कोरोना के मरीजों के लिए कल से एम्स में शुरू होने जा रही यह सुविधा, होगा फायदा

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। एम्स ट्रॉमा सेंटर के आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों को उनके परिजन एलईडी टीवी स्क्रीन पर देख सकेंगे। इसके लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर में व्यवस्था कर ली गई है। मंगलवार से यह सुविधा शुरू हो जाएगी। इसलिए आइसीयू में भर्ती मरीजों के परिजन ट्रॉमा सेंटर पहुंचकर मरीज को आसानी से देख सकेंगे। इससे मरीजों का हाल लेने के लिए परिजनों को भटकना नहीं पड़ेगा।

स्मार्ट फोन के जरिए मरीज के संपर्क में रहते हैं परिजन

वैसे तो मरीजों को ट्रॉमा सेंटर में मोबाइल फोन साथ रखने का प्रावधान है। वार्ड में भर्ती मरीज स्मार्ट फोन के माध्यम से परिजनों के संपर्क में रहते हैं, लेकिन आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीज इस हालत में नहीं होते कि वे मोबाइल इस्तेमाल कर सकें। इससे परिजनों का मरीज से संपर्क नहीं हो पाता। परिजनों की यह शिकायत भी रही है कि उन्हें मरीजों का हालचाल लेने में परेशानी होती है।

परिजनों की बेहतर सुविधा के लिए पहल

हालांकि, ट्रॉमा सेंटर द्वारा एक फोन नंबर उपलब्ध कराया जाता है, ताकि परिजन उस पर कॉल करके मरीज का हाल ले सकें। एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ राजेश मल्होत्रा ने कहा कि मरीजों व परिजनों की बेहतर सुविधा के लिए ट्रॉमा सेंटर की पहली मंजिल पर एक जगह चिह्नित की गई है। जहां टीवी स्क्रीन पर आइसीयू में भर्ती मरीजों को देखने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

आराम से टीवी पर देख सकेंगे मरीज का हाल

परिजनों के बैठने के लिए सोफे की व्यवस्था होगी। वैसे तो कोरोना मरीजों के परिजनों को अस्पताल में नहीं आने दिया जाता, लेकिन आइसीयू में भर्ती मरीजों के परिजनों को बुलाया जाएगा। परिजन आराम से बैठकर टीवी स्क्रीन पर मरीज को देख सकेंगे।

छोटे कंटेनमेंट जोन से लोगों को कम हो रही परेशानी

इधर, जिला प्रशासन ने संक्रमण को रोकने के लिए कंटेनमेंट जोन घोषित करने के नियमों का पालन तो किया ही। इसके साथ ही लोगों की परेशानी कम करने के लिए छोटे-छोटे कंटेनमेंट जोन भी बनाए। इससे जरूरत के मुताबिक सख्ती करने और सुविधाएं देने पर निर्णय लिया जा सका। कंटेनमेंट जोन बनाते समय जिला प्रशासन के सामने कई तरह की चुनौतियां थीं।

चांदनी महल कंटेनमेंट जोन में रहने वाले लोग खुद वहां के वाशिंदे थे, जबकि बापा नगर में बड़ी संख्या में मजदूर रह रहे थे। संक्रमण अन्य लोगों में न फैले इसके लिए बापा नगर में रह रहे मजदूरों को आइसोलेशन सेंटर में ले जाया गया। इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिली। मध्य दिल्ली जिले में 10761 संक्रमित मिल चुके हैं। वहीं जिले में 61 कंटेनमेंट जोन बनाए गये थे। इसमें 49 को डी-कंटेन किया जा चुका है।

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