डीएसएसएसबी के खिलाफ जांच धीमी होने पर कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों पर लगाया जुर्माना

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंद्र बेदी के कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बेतुका बहाना बनाकर पुलिस जानबूझ कर जांच में देरी कर रही है। अपराध शाखा के विशेष आयुक्त और संयुक्त आयुक्त को निर्देश देते हुए कहा कि दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट जमा कर बताएं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 07:45 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 07:57 AM (IST)
डीएसएसएसबी के खिलाफ जांच धीमी होने पर कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों पर लगाया जुर्माना
कोर्ट ने पुलिस के विशेष आयुक्त और संयुक्त आयुक्त के वेतन से 20-20 हजार रुपये अटैच करने का दिया निर्देश।

नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) की प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में जातिगत प्रश्न पूछने के मामले में जांच के लिए समय मांगने पर कड़कड़डूमा कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई है। साथ ही जुर्माने के तौर पर दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त और संयुक्त आयुक्त के वेतन से 20-20 हजार रुपये अटैच करने का निर्देश दिया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंद्र बेदी के कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बेतुका बहाना बनाकर पुलिस जानबूझ कर जांच में देरी कर रही है। अपराध शाखा के विशेष आयुक्त और संयुक्त आयुक्त को निर्देश देते हुए कहा कि दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट जमा कर बताएं कि प्रश्न पत्र बनाने वाली समिति के मुखिया कौन थे, किन लोगों ने प्रश्न पत्र तैयार किए। कोर्ट ने इस आदेश की प्रति पुलिस आयुक्त को भेज जांच करने और दो सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

वर्ष 2018 और 2019 में हुई प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में डीएसएसएसबी ने जातिगत प्रश्न पूछे थे। इस मामले में अधिवक्ता सत्य प्रकाश गौतम के शिकायत करने के बाद कोर्ट के आदेश पर बीते जून में आनंद विहार पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में गत 26 अगस्त को हुई सुनवाई में पुलिस ने कोर्ट से जांच के लिए 45 दिन का वक्त मांगा था। इतना समय पूरा होने के बाद पुलिस ने फिर से जांच के लिए समय मांगने को कोर्ट में अर्जी लगा दी। इसका शिकायतकर्ता अधिवक्ता ने विरोध किया। साथ ही मामला अपराध शाखा को हस्तांतरित करने पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण ऐसा किया है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट देखने से पता चलता है कि परीक्षा की प्रक्रिया व उससे जुड़े पहलुओं के संबंधि उप सचिव स्तर तक के विभिन्न लोगों को नोटिस देने के अलावा इस मामले में कोई जांच नहीं हुई है। प्रश्न पत्र बनाने वाली समिति के मुखिया से किसी तरह की पूछताछ नहीं की गई है। ऐसा लगता है कि जांच करने वालों को समिति के मुखिया के बारे में कुछ नहीं पता।

जांचकर्ता यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि शिकायतकर्ता की जाति के दस्तावेजों का सत्यापन करने में जुटे हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस के उच्चाधिकारियों ने रहस्यमयी तरीके से जांच अपराध शाखा को हस्तांतरित कर दी, जिसका कारण स्पष्ट नहीं किया जा सका। कोर्ट ने माना कि पुलिस के विशेष आयुक्त और संयुक्त आयुक्त ने कर्तव्य निर्वहन में कोताही बरती है।

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