कोराेना की दूसरी लहर में 5337 बच्चों के सिर से उठा माता या पिता का साया
न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ के समक्ष प्रभसहाय कौर ने कहा कि अब तक अनाथ हुए बच्चों के संबंध में सिर्फ 11 लोगों ने पूछताछ की है जबकि दो आवेदन आएं हैं।उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार के स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बच्चों के सिर से माता-पिता या दोनों का साया छिनने का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। बुधवार को कोरोना महामारी को लेकर दायर विभिन्न जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रभसहाय कौर ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में माता-पिता या दोनों को खोने वाले बच्चों का आंकड़ा पांच गुना बढ़कर 5337 पहुंच गया है। इससे पहले दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि महामारी में 1300 बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया है। उन्होंने कहा कि हालांकि, ऐसे बच्चों की मदद के लिए सरकार ने योजनाएं तो बनाई है, लेकिन इसका प्रचार नहीं होने के कारण जमीनी स्तर पर इसका असर नहीं हो रहा है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ के समक्ष प्रभसहाय कौर ने कहा कि अब तक अनाथ हुए बच्चों के संबंध में सिर्फ 11 लोगों ने पूछताछ की है, जबकि दो आवेदन आएं हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार के स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत है, ताकि ऐसे बच्चों की मदद करने या उन्हें गोद लेने के लिए बड़ी संख्या में लाेग या संस्था सामने आएं।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि इस संबंध में कदम उठाए गए हैं और फोस्टर-केयर को लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन अभी यह देखा जाना है कि कहीं इसका दुरुपयोग न हो और अनुदान का सही दिशा में इस्तेमाल किया जा सके।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने मामले में सुनवाई के बाद दिल्ली सरकार को इस संबंध में बिना देरी किए योजनाओं का विज्ञापन व प्रचार करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अधिवक्ता प्रभसहाय कौर द्वारा दिए गए सुझावों पर भी विचार किया जाए। पीठ ने कहा कि आगामी 22 अगस्त को होने वाली सुनवाई पर दिल्ली सरकार रिपोर्ट दाखिल करके बताए कि उसने क्या कदम उठाए हैं।