Coronavirus Prevention Tips: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच ऐसे बढ़ाएं अपना ऑक्सीजन लेवल
अगर किसी के पास पल्स ऑक्सीमीटर भी नहीं है तो छह मिनट लगातार चलकर यह जाना जा सकता है कि ऑक्सीजन की मात्रा कम है या नहीं है। अगर कोई व्यक्ति छह मिनट लगातार आराम से चल लेता है इसका मतलब उसकी ऑक्सीजन की मात्रा लगभग सामान्य है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर में रोगियों को सबसे ज्यादा समस्या ऑक्सीजन की ही हो रही है। जानिए क्यों है यह इतनी जरूरी और कैसे कर सकते हैं आप इसकी कमी पूरी। व्यक्ति के जीवन में ऑक्सीजन का बहुत महत्व है। हमारे जीवन की शुरुआत होती हैं- हमारी पहली सांसें और जीवन का अंत हैं- अंतिम सांसें और यह ऑक्सीजन की ही बदौलत हैं।
हम प्रतिदिन 350 लीटर ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। हमें अगर 3 मिनट तक ऑक्सीजन न मिले तो हमारी मृत्यु हो सकती है। कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर में सबसे ज्यादा समस्या ऑक्सीजन की ही हो रही है। कोरोना के गंभीर संक्रमण में फेफड़े के अंदर निमोनिया हो जाता है तथा एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्टेंस सिंड्रोम भी हो जाता है। इन दोनों परिस्थितियों में रोगी की ऑक्सीजन काफी कम हो जाती है और रोगी की सांस फूलने लगती है।
जरूरी है पल्स ऑक्सीमीटर: इसे उंगली पर लगाकर हम शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगा सकते हैं। पेट के बल सांस लें: सामान्यत: एक सामान्य व्यक्ति में 95 से 100 फीसद तक ऑक्सीजन होती है। कोरोना के रोगियों में जब ऑक्सीजन 95 फीसद से कम होने लगती है तो रोगी के परिजनों को चिंता करनी चाहिए। ऐसी स्थिति में यदि हम रोगी को पेट के बल लिटा दें और उससे धीमे-धीमे, किंतु गहरी- गहरी सांस लेने को कहें तो 10 से 25 फीसद तक ऑक्सीजन बढ़ जाती है और यह क्रिया एक तरह से ऑक्सीजन की कमी में फर्स्ट एड का कार्य करती है। प्रयास यह होना चाहिए कि ऑक्सीजन की मात्रा 90 से 94 फीसद के बीच आ जाए।
ऐसे करें ऑक्सीमीटर का उपयोग ऑक्सीमीटर का उपयोग करने से पहले उंगुुली को साफ कर लें उंगुली पर नाखून पॉलिश या रंग इत्यादि न लगा हो ऑक्सीमीटर को पूरे एक मिनट तक उंगुली पर लगाकर रखें इसके बाद जब रीडिंग थम जाएं तब उस रीडिंग को देखें यदि ऑक्सीमीटर में रीडिंग नहीं थम रही है तो स्वस्थ व्यक्ति पर उसे उपयोग करके देखें
कब ले जाएं अस्पताल: ऑक्सीजन की महत्ता को देखते हुए इसे प्राणवायु भी कहा जाता है। ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए रोगी को घर में ही सिलेंडर या ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन दी जा सकती है। कोरोना संक्रमण की शुरुआत में ही अगर ऑक्सीजन सपोर्ट मिल जाए तो इससे रोगी को भर्ती होने से बचाया जा सकता है। चिकित्सक की सलाह से डेक्सामेथासोन या अन्य स्टेरॉइड भी रोगी के उपचार में कारगर सिद्ध होता है। इससे भी ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है, परंतु यदि ऑक्सीजन 90 फीसद से भी कम होने लगे तो हमें रोगी को किसी अस्पताल में भर्ती करा देना चाहिए।
कोरोना में है गेमचेंजर: यदि रोगी की ऑक्सीजन 90 फीसद से भी कम हो जाती है और अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो वहां भी हाई फ्लो ऑक्सीजन दी जाती है अर्थात वहां भी रोगी के उपचार में ऑक्सीजन की प्रमुख भूमिका है। ऐसे रोगी, जिनको ऑक्सीजन सपोर्ट प्रारंभ में ही मिल जाता है, वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। उनको अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ता है और उनको पोस्ट कोविड-19 कांप्लीकेशन भी कम होते हैं।
छह मिनट चलकर देखें: अगर किसी के पास पल्स ऑक्सीमीटर भी नहीं है तो छह मिनट लगातार चलकर यह जाना जा सकता है कि ऑक्सीजन की मात्रा कम है या नहीं है। अगर कोई व्यक्ति छह मिनट लगातार आराम से चल लेता है, इसका मतलब उसकी ऑक्सीजन की मात्रा लगभग सामान्य है। अगर छह मिनट लगातार चलने पर उसकी सांस फूल जाती है और उसको बीच में रुकना पड़ता है तो उसकी ऑक्सीजन की मात्रा कम है। भाप लें, प्राणायाम करें: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए फेफड़ों को मजबूत रखना बहुत जरूरी है। अगर आप नियमित भाप लेते हैं और प्राणायाम करते हैं तो आपके फेफड़े की ऑक्सीजन प्रवाहित करने की क्षमता में वृद्धि होती है और आपके फेफड़े मजबूत होते हैं। अत: हम सभी को भाप लेनी चाहिए एवं प्राणायाम करना चाहिए।