Coronavirus 3rd Wave: संभावित तीसरी लहर के लिए तैयार नहीं है सरकारी अस्पताल

जनकपुरी अतिविशिष्ट अस्पताल की बात करें तो यहां तीसरी लहर के लिए तैयारियां एक इंच परवान नहीं चढ़ी है। दूसरी लहर के दौरान यहां 100 आक्सीजन बेड थे जिसमें 50 आइसीयू बेड शामिल है और मौजूदा समय भी उतने ही बेड है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 04:38 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 04:38 PM (IST)
Coronavirus 3rd Wave: संभावित तीसरी लहर के लिए तैयार नहीं है सरकारी अस्पताल
दूसरी लहर से सबक लेने के बाद भी आक्सीजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं है अस्पताल

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। कोरोना संक्रमण के बढ़ रहे मामले व तीसरी लहर के संभावित खतरे के बीच क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में तैयारियां अभी भी आधी-अधूरी ही नजर आती है। अफसोस की बात है कि दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की किल्लत से जूझने के बावजूद क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में अभी तक लिक्विड आक्सीजन टैंक नहीं लगे हैं और कई अस्पतालों में तो केंद्रीय गैस पाइपलाइन बिछाने का कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हुआ है। हालांकि, कुछ अस्पताल को छोड़ दें तो करीब-करीब सभी अस्पतालों में पीएसए (प्रेशर स्विंग एडसरप्शन) प्लांट जरूरी लग चुके हैं, पर बिना लिक्विड आक्सीजन टैंक के पीएसए प्लांट का इस्तेमाल संभव नहीं है।

ऐसे में सरकारी अस्पतालों की स्थिति आज भी वहीं है जो दूसरी लहर के दौरान थी, अभी भी अस्पताल आक्सीजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं बने हैं। उधर, अधिकारियों की माने तो यदि तीसरी लहर दिल्ली में दस्तक देती है तो द्वारका स्थित इंदिरा गांधी अतिविशिष्ट अस्पताल उसके लिए पूर्ण रूप से तैयार है। सितंबर तक यहां 1,241 बेड शुरू करने का लक्ष्य तय किया गया है। पर फिलहाल यहां 380 बेड का कोविड वार्ड, 88 बेड का आइसीयू वार्ड, 20 बेड का पीडियाट्रिक आइसीयू वार्ड व 30 बेड का पीडियाट्रिक वार्ड तैयार है। इसके अलावा 50 मीट्रिक टन व 20 मीट्रिक टन क्षमता के दो लिक्विड आक्सीजन टैंक और 500 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) क्षमता के पांच पीएसए प्लांट हैं। पर तमाम सुविधाओं के बीच यहां स्वास्थ्य कर्मचारियों की किल्लत एक बड़ी समस्या है।

जनकपुरी अतिविशिष्ट अस्पताल की बात करें तो यहां तीसरी लहर के लिए तैयारियां एक इंच परवान नहीं चढ़ी है। दूसरी लहर के दौरान यहां 100 आक्सीजन बेड थे, जिसमें 50 आइसीयू बेड शामिल है और मौजूदा समय भी उतने ही बेड है। आश्चर्य की बात यह है कि यहां आइसीयू वार्ड के प्रबंधन के लिए एक भी एनेस्थीसिया विशेषज्ञ नहीं है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक अस्पताल में 50 वेंटिलेटर, 30 आक्सीजन कंसंट्रेटर व 635 आक्सीजन सिलेंडर है, जो 100 बेड के अनुकूल है। पर यदि बेड की संख्या बढ़ती है तो अस्पताल के समक्ष आक्सीजन की किल्लत खड़ी हो जाएगी। इसके अलावा अस्पताल में केंद्रीयकृत गैस पाइपलाइन बिछाने का कार्य पूरा हो गया है, पर उसे लिक्विड आक्सीजन टैंक से अभी तक जोड़ा नहीं गया है। जहां तक

पीएसए प्लांट की बात है, उसे लगाने का कार्य प्रगति पर है। इन सब के बीच स्वास्थ्य कर्मचारियों की किल्लत अन्य अस्पतालों की भांति समान है। मोती नगर स्थित आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल में दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में स्वास्थ्य मंत्री ने 500 आक्सीजन बेड की व्यवस्था की बात कहीं थी, पर अफसोस की बात है फिलहाल यहां 150 ही बेड है। जिसमें 90 आक्सीजन बेड और 60 आइसीयू बेड शामिल है। इस पर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल परिसर में निर्माणाधीन नई इमारत के तीन फ्लोर को प्राथमिकता पर तैयार किया जा रहा है। ताकि वहां बेड लगाकर मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा सके। पर 500 बेड के अनुकूल अस्पताल के पास स्वास्थ्य कर्मचारी नहीं है। ऐसे में केवल बेड बढ़ाना काफी नहीं है। जहां तक केंद्रीयकृत गैस पाइपलाइन की बात है उसे बिछाने का कार्य पूरा हो चुका है, पर लिक्विड आक्सीजन टैंक की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में है। इसके अलावा अस्पताल में एक हजार एलपीएम क्षमता का पीएसए प्लांट यहां लग चुका है।

नान-कोविड मरीजों के लिए किया आश्रित

रघुबीर नगर स्थित गुरु गोबिंद अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. राजीव कुमार गुप्ता बताते हैं कि यह कोविड अस्पताल नहीं है, इसलिए यहां उस लिहाज से कोई तैयारी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार अस्पताल को नान-कोविड मरीजों का इलाज सुनिश्चित करना है। जहां तक बच्चों की बात है तो अस्पताल में 18 बेड का पीडियाट्रिक आइसीयू बेड और सभी विशेषज्ञ हैं। ऐसे में यदि संभावित तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरा साबित होती है तो अस्पताल उससे निपटने में काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है। महामारी के बीच जच्चा-बच्चा सुविधाएं प्रभावित न हो इसके लिए डाबड़ी स्थित दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में भी संभावित तीसरी लहर के लिए कोई विशेष तैयारी नहीं है। हालांकि, यहां 500 एलपीएम क्षमता का पीएसए प्लांट लगाने की यहां योजना है, पर अभी तक वह परवान नहीं चढ़ी है। नजफगढ़ की सघन आबादी के लिए जाफरपुरकलां स्थित रावतुलाराम अस्पताल में भी संभावित तीसरी लहर को लेकर कोई खास तैयारियां नजर नहीं आती है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अमिताभ भसीन बताते हैं कि यह फिलहाल नान-कोविड अस्पताल है। पर इसे कोविड अस्पताल में तब्दील करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को अर्जी भेजी गई है।

आयुर्वेदिक अस्पताल में भी होंगे आइसीयू बेड

आयुर्वेद की पढ़ाई में आइसीयू प्रबंधन की शिक्षा नहीं दी जाती है, पर कोरोना महामारी के बीच खेरा डाबर स्थित चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक संस्थान में भी आइसीयू बेड की व्यवस्था की बात की जा रही है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक अस्पताल में 15 आइसीयू बेड की व्यवस्था के लिए स्वास्थ्य विभाग के समक्ष अपील की गई है। आइसीयू बेड के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद विशेषज्ञ प्रशिक्षण ले रहे है।

संभावित तीसरी लहर को मद्देनजर रखते हुए प्रशासन अभी से सतर्कता बरत रहा है। दूसरी लहर के दौरान दवाओं व आक्सीजन की बढ़ी कालाबाजारी की शिकायतें संभावित तीसरी लहर के दौरान सामने न आए इसके लिए प्रशासन एक-एक अस्पताल पर नजर बनाए हुए है। इसके अलावा अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था के लिए अस्पताल प्रशासन के साथ बैठक की जा रही है।

धर्मेंद्र कुमार, अतिरिक्त जिला उपायुक्त, पश्चिमी जिला

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