Coronavirus Impact : फ्रिज छोड़ देशी घड़े की ओर लौट रहे लोग, स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है घड़े का पानी

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए ठंडी चीजों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। ऐसे में लोगों ने फ्रीज से दूरी बना ली है और मटके की ओर आकर्षित हो रहे हैं। गर्मी के दिनों में मिट्टी की सौंधी खुशबू मन को तृप्त कर देता है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 01:03 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 01:03 PM (IST)
Coronavirus Impact : फ्रिज छोड़ देशी घड़े की ओर लौट रहे लोग, स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है घड़े का पानी
पीतमपुरा में बिकते मिट्टी के बर्तन व मटके-जागरण।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। Coronavirus Impact- कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए ठंडी चीजों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। ऐसे में लोगों ने फ्रीज से दूरी बना ली है और मटके की ओर आकर्षित हो रहे हैं। गर्मी के दिनों में मिट्टी की सौंधी खुशबू वाले घड़े का शीतल पानी मन को तृप्त कर देता है। मिट्टी के घड़े व सुराही जिसे देसी या प्राकृतिक फ्रिज भी कहा जाता है, उसमें सेहत का खजाना छिपा है। आयुर्वेद के अनुसार यह स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है।

बिजली से चलने वाली चीजों के अस्तित्व में आने से पहले लोग इन्हीं चीजों का इस्तेमाल किया करते थे मगर तकनीक के विकास के साथ अब लोग उस तरफ मुड़ गए थे मगर कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान अब फिर से लोग उसी ओर लौटने लगे हैं।

गले के लिए है फायदेमंद

फ्रिज का पानी ज्यादा ठंडा होता है। वहीं गर्मी के दिनों में बाहर रखा पानी बहुत गर्म होता है। ऐसे में मटके का पानी गले के लिए सबसे उपयुक्त होता है। इसका प्रभाव गले के लिए अच्छा होता है। खांसी होने पर मटके का पानी उपयोगी होता है।

लू से बचाता है

गर्मी में तेज गर्म हवाओं से लू लगने का भय रहता है। घड़े का पानी लू से बचाने का भी काम करता है। इस पानी में मौजूद खनिज शरीर को ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। शरीर को ठंडक प्रदान करता है। आयुर्वेद विशेषज्ञों का कहना है कि मटके के पानी पीने से एसिडिटी और पेट की अन्य समस्याएं दूर हो सकती हैं।

प्लास्टिक के बोतलों में रखे पानी में कई तरह के रसायनिक तत्व उत्पन्न हो जाते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जबकि मटके के पानी को पीने से शरीर का मेटाबोलिज्म में सुधार आता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

(- आर पी पाराशर, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, पंचकर्मा अस्पताल।)

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