अशोक स्तंभ की फाउंडेशन इमारत का पूरा हुआ संरक्षण कार्य

फिरोजशाह कोटला में पिरामिड के आकार में बनी जिस तीन मंजिला इमारत के ऊपर करीब साढ़े 7 सौ साल से अशोक स्तंभ लगा हुआ है। इस इमारत को मजबूती दे दी गई है। एएसआइ ने इसे मजबूती देने के लिए पूरा कर लिया है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 07:45 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 10:12 AM (IST)
अशोक स्तंभ की फाउंडेशन इमारत का पूरा हुआ संरक्षण कार्य
इमारत की मजबूती का भी होगा अध्ययन

नई दिल्ली [वी के शुक्ला]। फिरोजशाह कोटला में पिरामिड के आकार में बनी जिस तीन मंजिला इमारत के ऊपर करीब साढ़े 7 सौ साल से अशोक स्तंभ लगा हुआ है। इस इमारत को मजबूती दे दी गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इसे मजबूती देने के लिए कुछ माह पहले काम शुरू किया था जो अब पूरा हो गया है। इस गोलाकार इमारत के भूतल सहित सभी मंजिलों पर हो चुकी टूटफूट ठीक की गई है। इमारत की दीवारों में दरारें दूर की गई हैं। दीवारों पर झड़ चुका चूना पत्थर का प्लास्टर फिर से किया गया है। इसके अलावा तीनों मंजिलों पर इमारत का फर्श फिर से बनाया गया है। आने वाले दिनों में एएसआइ इस बात का भी अध्ययन कराएगा कि इमारत कमजोर तो नहीं है। क्योंकि, इसकी तीसरी मंजिल के ऊपर अशोक स्तंभ लगा है। जिसका काफी वजन है।

इस इमारत की प्रत्येक मंजिल पर चाैड़ाई कम होती चली गई है। किला के अंदर जामे मस्जिद के उत्तर में निकट में यह इमारत स्थित है। बताया जाता है कि यहां जो अशोक स्तंभ है इसे अंबाला के टोपरा से लाया गया था। जिसे फिरोजशाह ने यहां लगवाया था। इस स्तंभ पर अंकित राजाज्ञाआें को सबसे पहले 1837 में जेम्स प्रिंसेज ने पढ़ा था।

ज्ञात हो कि कि फिरोजशाह तुगलक द्वारा अंबाला और मेरठ से 1351 से 1366 के बीच दिल्ली दो स्तंभ लाए गए थे। इन स्तंभों का महत्व ऐतिहासिक है। इनमें से एक स्तंभ उत्तरी दिल्ली में हिंदूराव अस्पताल के पास है और दूसरा स्तंभ फिरोजशाह कोटला किला में है। इस स्तंभ पर अशोक के सातों अभिलेख अंकित हैं। फिरोजशाह कोटला को लेकर जो इतिहास में वर्णित है उसके अनुसार दिल्ली के पांचवें शहर फिरोजाबाद का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने कराया था। जो हौजखास से लेकर उत्तर में पीर गायब तक था।

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