अपने ही दिग्गज नेता को भूले कांग्रेसी, नहीं छोड़ रहे मठाधीशी
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पार्टी नेता आस्कर फर्नांडिस जब जीवित थे तो कई बार प्रदेश कार्यालय आए। विभिन्न चुनावों में उन्होंने दिल्ली के प्रत्याशियों की मदद भी की। लेकिन जब वे अंतिम सफर पर निकले तो किसी ने उनके लिए श्रद्धांजलि के दो शब्द भी नहीं कहे।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पार्टी नेता आस्कर फर्नांडिस जब जीवित थे तो कई बार प्रदेश कार्यालय आए। विभिन्न चुनावों में उन्होंने दिल्ली के प्रत्याशियों की मदद भी की। लेकिन जब वे अंतिम सफर पर निकले तो किसी ने उनके लिए श्रद्धांजलि के दो शब्द भी नहीं कहे। भारतीय युवा कांग्रेस कार्यालय में जहां उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर दो मिनट का मौन रखा गया, वहीं युवा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी और प्रदेश कांग्रेस के एक पूर्व पदाधिकारी ओमप्रकाश बिधूड़ी के संक्षिप्त वक्तव्य के अलावा कहीं से उन्हें स्मरण किए जाने की जानकारी नहीं मिली।
बहुत से कांग्रेसियों में यह चर्चा का विषय भी रहा कि जो नेता अपने दिग्गज को याद नहीं रखते, उनसे कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। पार्टी नेताओं का यही रवैया उन्हें जनता और अपने कार्यकर्ताओं से दूर करता जा रहा है। काश, कोई इनकी सोच बदल पाए।
अपना दौर भूल गईं मैडम
जिला चांदनी चौक कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई तो उसमें पार्टी नेता अल्का लांबा भी मंचासीन थीं। चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से ही पूर्व विधायक होने के नाते उन्हें कार्यकर्ताओं को संबोधित करने का मौका भी मिला। मैडम माइक पर आईं तो उन नेताओं से खासी नाराज नजर आईं जो पहले पार्टी छोड़ जाते हैं और बाद में वापस आकर फिर से टिकट की दावेदारी करने लगते हैं।
उन्होंने जिला पर्यवेक्षक हरियाणा से विधायक चिरंजीव राव की उपस्थिति में कहा कि ऐसे नेताओं को कतई टिकट नहीं मिलनी चाहिए। मैडम का यह वक्तव्य सुनते ही ज्यादातर नेता-कार्यकर्ता एक दूसरे की तरफ देखने लगे। कुछ तो बुइबुदाए भी. अरे भाई, यह तो खुद ही पार्टी छोड़कर चली गई थीं। बाद में वापस आईं तो सोनिया मैडम से अपनी टिकट भी पक्का करवा लाईं। अब नियम कायदा तो छोटे बड़े सभी के लिए एक जैसा ही होना चाहिए न।
...जब नेता जी ने दिखाया आईना
दिल्ली की सियासत में हाशिए पर चल रहे कांग्रेस नेताओं का आत्मविश्वास देखते ही बनता है। नहीं के बराबर जनाधार होने पर भी यही कहते नजर आते हैं कि जनता आप और भाजपा दोनों से परेशान है। कांग्रेस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन प्रदेश उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल इससे कतई सहमत हैं। आदर्श नगर जिला कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में उन्होंने नेताओं को आईना दिखाया।
उन्होंने दो टूक कहा, किसी खुशफहमी में न रहें, अगर हम मौजूदा तौर तरीके से ही आगे बढ़ेंगे तो चुनाव जीतना मुश्किल होगा। चुनाव जीतने को हमें अपनी सोच, कार्यशैली बदलनी होगी। हमारे कुछ नेता ऐसे हैं जो कार्यकर्ताओं का फोन तक नहीं उठाते। चुनाव आता है तो टिकट कोई और ले जाता है, जबकि काम करने वाला ताकता रह जाता है। सत्ता न होते हुए भी अकड़ कम नहीं होती। उनके इस बेबाक कड़वे सच पर मंच पर बैठे नेता बगले झांकने लगे।
नहीं छोड़ रहे मठाधीशी
दिल्ली कांग्रेस के अधिकांश वरिष्ठ नेता-चाहे वे पूर्व विधायक हों या पूर्व सांसद, प्रदेश कार्यालय से दूरी बनाकर चल रहे हैं। न संगठन के लिए कुछ कर रहे हैं और न ही नगर निगम चुनाव के लिए उनका कोई योगदान नजर आ रहा है। विडंबना यह कि सक्रिय न रहते हुए भी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपनी मठाधीशी बनाए रखना चाहते हैं।
अगर संगठन की ओर से वहां किसी और को जिम्मेदारी दे दी जाए या फिर कार्यकर्ताओं संग बैठक भी रख ली जाए तो ये नेता ऐसे हंगामा करते हैं कि जैसे संबंधित सीट इनकी पैतृक है और वहां किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। प्रदेश स्तर से यह शिकायत शीर्ष स्तर तक की जा चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। प्रदेश नेतृत्व और वरिष्ठ नेताओं के बीच बनी इस खाई का खामियाजा कार्यकर्ता भुगत रहे हैं। किसी को कोई सियासी भविष्य नजर नहीं आ रहा।