प्राइवेट छोड़ निगम के स्कूलों में दाखिला ले रहे बच्चे, जानिए बेहतर शिक्षा के लिए क्या कदम उठा रहा विभाग

निजी स्कूलों को छोड़ विद्यार्थी निगम के स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। आनलाइन कक्षाओं में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं और स्कूल खुले होने की स्थिति में अभिभावकों से भी लगातार संवाद किया जा रहा है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:00 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 07:00 PM (IST)
प्राइवेट छोड़ निगम के स्कूलों में दाखिला ले रहे बच्चे, जानिए बेहतर शिक्षा के लिए क्या कदम उठा रहा विभाग
निगम स्कूलों में हो रहे ढांचागत सुधार से छवि भी बदल रही है।

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। निगम स्कूलों में हो रहे ढांचागत सुधार से छवि भी बदल रही है। इसके अब सकारात्मक नतीजे इस रूप में आ रहे हैं कि निजी स्कूलों को छोड़ विद्यार्थी निगम के स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। यही वजह है कि बीते वर्ष की तुलना में तीनों नगर निगमों में सवा लाख अधिक विद्यार्थी बढ़ गए हैं। विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने से निगम उत्साहित है। साथ ही छवि में कोई नुकसान न हो इसके लिए बेहतर शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। आनलाइन कक्षाओं में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं और स्कूल खुले होने की स्थिति में अभिभावकों से भी लगातार संवाद किया जा रहा है।

सर्वाधिक दाखिले की बात करें तो सर्वाधिक दाखिले उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में हुए हैं। यहां बीते वर्ष दो लाख 67 हजार विद्यार्थी पढ़ रहे थे। इस वर्ष इनकी संख्या बढ़कर तीन लाख 41 हजार हो गई है। यानी 74 हजार अधिक विद्यार्थियों ने यहां दाखिला लिया। इसी तरह पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में बीते वर्ष एक लाख 62 हजार विद्यार्थी थे जबकि इस साल यह संख्या बढ़कर दो लाख 29 हजार तक हो गई है।

वही, दक्षिणी निगम में 13 हजार 520 नए अधिक विद्यार्थियों के साथ इस वर्ष विद्यार्थियों की संख्या तीन लाख पांच हजार हो गई है। बीते वर्ष यह संख्या दो लाख 91 हजार थी। उल्लेखनीय है कि दक्षिणी निगम में 592 स्कूल हैं जबकि पूर्वी निगम में इसकी संख्या में 232 और उत्तरी निगम में सात सौ हैं।

निजी स्कूलों के बच्चों ने लिया दाखिला: दक्षिणी निगम के महापौर मुकेश सुर्यान ने बताया कि निगम स्कूलों में इस बार बड़ी संख्या में निजी स्कूलों के बच्चों ने दाखिला लिया है। इसका एक प्रमुख कारण है कि हमारे स्कूल में शिक्षा अब निजी स्कूलों से बेहतर हो गई है। हमने न केवल स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बनाए हैं बल्कि विभिन्न गतिविधियां आयोजित होती है। जिसका परिणाम हमें इस रूप में देखने को मिला है। बीते वर्ष हमने घर-घर जाकल स्कूलों में दाखिले का अभियान चलाया। इससे वह बच्चे भी आए जिनके अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजते थे।

यह भी है वजह: गली मोहल्लों में बड़ी संख्या में नर्सरी और प्ले-वे स्कूल चलते थे, लेकिन कोरोना के कारण इन स्कूलों को आर्थिक नुकसान के चलते बंद करना पड़ा। रिहायशी इलाकों में बंद हुए स्कूलों से अभिभावकों ने बच्चों को निगम स्कूलों में दाखिला दिला दिया। वहीं, लोगों ने भी आर्थिक कारणों से भी अपने बच्चों का नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवाकर दाखिला निगम के स्कूलों में करा दिया।

क्या-क्या हुए हैं निगम स्कूलों में सुधार

वर्दी नीले रंग की बदलकर प्राइवेट स्कूलों की तरह तीनों निगम में की गई है स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बनाने पर जोर सीसीटीवी से युक्त स्कूल परिसर निजी स्कूलों की तर्ज पर मेगा पैरेट्स मीटिंग बच्चों को निश्शुल्क वर्दी और जूते व पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती है 50 हजार रुपये का बीमा बच्चों का किया जाता है मिड-डे मील दिया जाता है वर्ष-उत्तरी निगम-पूर्वी निगम- दक्षिणी निगम 2017-18-3.28-1.87-2.67 2018-19-3.28-1.76-2.60 2019-20-3.51-1.74-2.58 2020-21-2.67-1.62-2.91 2021-22-3.41-2.29-3.05

   (नोट: संख्या लाख में है)

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