सीबीएसई की पहल, अब बच्चे पढ़ाई के साथ कौशल कार्यक्रम की ट्रेनिंग लेकर बनेंगे एक्सपर्ट
समझौते के तहत एनसीईएआर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार स्कूलों में कौशल कार्यक्रम को लागू करने के लिए उचित सलाह प्रदान करने हेतु दो चरणों में शोध अध्ययन करेगा।इसमें स्कूलों में चल रहे पठन-पाठन के कार्यक्रम की तुलना कौशल कार्यक्रम के तहत लागू होने वाले शिक्षण कार्य से करेगा।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने नेशनल काउंसिल आफ एप्लाइड ईकोनोमिक रिसर्च (एनसीईएआर) के साथ स्कूलों में कौशल कार्यक्रम के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान सीबीएसई चेयरमैन मनोज आहूजा, स्कूली शिक्षा और साक्षरता सचिव अनीता करवाल और कौशल विकास एवं उद्यमिता सचिव प्रवीन कुमार मौजूद रहे।
समझौते के तहत एनसीईएआर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार स्कूलों में कौशल कार्यक्रम को लागू करने के लिए उचित सलाह प्रदान करने हेतु दो चरणों में शोध अध्ययन करेगा। पहले चरण के अध्ययन में वह सीबीएसई के स्कूलों में चल रहे पठन-पाठन के मौजूदा कार्यक्रम की तुलना कौशल कार्यक्रम के तहत लागू होने वाले शिक्षण कार्य से करेगा।
इसके साथ ही इसका विश्लेषण कर भविष्य की शिक्षा पर कौशल कार्यक्रम के पड़ने वाले प्रभाव का भी अध्ययन करेगा। इसके बाद दूसरे चरण के शोध में पहले चरण में पाई गई खामियों को दूर करते हुए स्कूलों में कौशल कार्यक्रम को अधिक प्रासंगिक और प्रभावशाली बनाने के लिए कार्य करेगा।
नर्सरी दाखिला: पहले ड्रा में 37 हजार से अधिक छात्रों का हुआ चयन
शिक्षा निदेशालय ने मंगलवार को ईडब्ल्यूएस (आर्थिक पिछड़ा वर्ग) और वंचित समूह (डीजी श्रेणी) कोटे की सीटों पर दाखिले के लिए पहला कंप्यूटर आधारित ड्रा निकाला। जिसमें 37 हजार से अधिक बच्चों का चयन किया गया है। निजी स्कूलों की ईडब्ल्यूएस सीटों में दाखिला के लिए ड्रा के बाद शिक्षा निदेशालय जल्द सूची जारी करेगा।
निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार जिन बच्चों का चयन दाखिले के लिए हुआ है, उनके अभिभावकों के पंजीकृत फोन नंबर पर बुधवार से आवंटित स्कूल से संबंधित जानकारी भेज दी जाएगी। इसके बाद अभिभावक स्कूल में दस्तावेज जमा कर अपने बच्चे का दाखिला 30 जून तक करा सकते हैं।
शिक्षा निदेशालय की निजी स्कूल शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों की 100 फीसद सीटों को ड्रा में शामिल किया गया है। जबकि निजी जमीन में बने स्कूलों की 50 फीसद सीटें ही ड्रा में शामिल की गई हैं। अधिकारी ने बताया कि पहले ड्रा के बाद भी सीटें बची हुई हैं। इन्हें भरने के लिए दूसरा ड्रा भी निकाला जाएगा।