कोरोना का नया वैरिएंट क्या तीसरी लहर का कारण बन सकता है? डाक्टरों ने बताया किसे रहना है सावधान

COVID Omicron Variant दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट (बी.1.1.529) ने एक बार फिर सबकी चिंता बढ़ा दी है। डाक्टरों के बीच इस बात की भी चर्चा होने लगी है कि कहीं यह नया वैरिएंट देश में तीसरी लहर का कारण न बन जाए।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 11:54 AM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 12:02 PM (IST)
कोरोना का नया वैरिएंट क्या तीसरी लहर का कारण बन सकता है? डाक्टरों ने बताया किसे रहना है सावधान
कोरोना का नया वैरिएंट क्या तीसरी लहर का कारण बन सकता है? जानें क्या कहते हैं डाक्टर्स

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट (बी.1.1.529) ने एक बार फिर सबकी चिंता बढ़ा दी है। डाक्टरों के बीच इस बात की भी चर्चा होने लगी है कि कहीं यह नया वैरिएंट देश में तीसरी लहर का कारण न बन जाए। डाक्टरों का कहना है कि बचाव के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिये वायरस की निगरानी बढ़ाने की जरूरत है। हालांकि, डाक्टर यह भी कह रहे हैं कि कोरोना के डेल्टा सहित किसी भी वैरिएंट ने एक बार संक्रमित हो चुके लोगों को दोबारा ज्यादा प्रभावित नहीं किया है। इसलिए देश में नए वैरिएंट से खतरे की आशंका बहुत कम है। फिर भी सतर्कता बढ़ाने की जरूरत है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पूर्व महासचिव डा. एनके गांगुली ने कहा कि अब तक की जानकारी के अनुसार नए वैरिएंट का संक्रमण उन लोगों को भी हो रहा है, जिन्हें टीका लग चुका है। जांच व जीनोम सिक्वेंसिंग बढ़ाकर इसकी निगरानी सख्त करनी होगी, ताकि नए वैरिएंट का यहां संक्रमण न फैलने पाए। प्रभावित देशों से आने वाले सभी यात्रियों की जांच जरूर होनी चाहिए।

एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डा. संजय राय का कहना है कि केंद्र सरकार ने सतर्कता बढ़ा भी दी है और प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है। वायरस में हुआ म्युटेशन अनपेक्षित नहीं है। कई बार म्युटेशन से ज्यादा नुकसान नहीं होता। हालांकि इस वैरिएंट से ऐसा लग रहा है कि नुकसान हो सकता है, क्योंकि स्पाइक प्रोटीन में अधिक म्युटेशन होने से आशंका है कि यह टीके को बेअसर कर दे। ऐसा हुआ तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी, लेकिन अभी कहना जल्दबाजी है।

उन्होंने कहा, हांगकांग में पूरी वयस्क आबादी को एमआरएनए टीका लग चुका है। इससे यह आंशका जताई जा रही है कि यह टीके का प्रभाव कम कर रहा है।

नहीं है ज्यादा डरने की जरूरत

डा. संजय राय का कहना है कि देश में अभी इसलिए ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि दूसरी लहर में डेल्टा वायरस से यहां की ज्यादातर आबादी संक्रमित हो चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर हुए सीरो सर्वे में भी करीब 70 फीसद लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी। कोरोना के अब तक के आंकड़े बताते हैं कि जिन्हें टीका लगा है, उन्हें तो संक्रमण हो सकता है, लेकिन प्राकृतिक रूप से पहले संक्रमित हो चुके लोग ज्यादा सुरक्षित हैं।

इसलिए इस बात की आशंका बहुत कम है कि अब कोई भी वैरिएंट यहां ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। यह निगरानी रखना जरूरी है कि दोबारा संक्रमण तो नहीं हो रहा है।

कोरोना के संक्रमण से अब तक बचे लोगों को खतरा ज्यादा

सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डा. जुगल किशोर ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में पाया गया नया वैरिएंट डेल्टा से दो-तीन गुना ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है। हालांकि , अच्छी बात यह है कि कोई भी नया वैरिएंट बीमार होकर ठीक हो चुके लोगों को दोबारा प्रभावित नहीं कर पाया है। दूसरी लहर में भी डेल्टा वायरस से वे लोग सुरक्षित रहे, जिन्हें पहले संक्रमण हो चुका था। 45 फीसद से अधिक वयस्क आबादी का टीकाकरण पूरा हो गया है, लेकिन तेजी लानी होगी, ताकि बाकी बचे लोगों का टीकाकरण भी जल्द पूरा हो सके। ऐसी स्थिति में नए वैरिएंट का संक्रमण होने पर भी नुकसान अधिक नहीं होगा। इसके अलावा कोरोना से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

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