कैट ने शुरू किया चीनी उत्पादों के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान का दूसरा चरण, बोले सभी साथ आएं

इसका लक्ष्य दिसंबर 2021 तक चीन में निर्मित वस्तुओं के भारत में आयात को एक लाख करोड़ रुपये कम करने का निर्धारित किया है। यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को सफल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 04:40 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 04:40 PM (IST)
कैट ने शुरू किया चीनी उत्पादों के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान का दूसरा चरण, बोले सभी साथ आएं
कैट ने गत वर्ष शुरू किए चीनी उत्पादों के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान का दूसरा चरण शुरू किया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने गत वर्ष शुरू किए चीनी उत्पादों के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान का दूसरा चरण शुरू किया है। साथ ही इसका लक्ष्य दिसंबर 2021 तक चीन में निर्मित वस्तुओं के भारत में आयात को एक लाख करोड़ रुपये कम करने का निर्धारित किया है। कैट का यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के '' लोकल पर वोकल'' और ''आत्मनिर्भर भारत'' के आह्वान को सफल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस अभियान के दूसरे चरण में कैट ने चीन से आयात होती एफएमसीजी उत्पाद, रोजमर्रा की वस्तुएं, किराना, फूटवियर, खिलौने, रसोई उपकरण, क्राकरी, गिफ्ट आइटम व फर्निशिंग फैब्रिक के बहिष्कार की योजना बनाई है, क्योंकि इनका उत्पाद देश में भी होता है। कैट अपने इस अभियान के अंतर्गत देश भर में व्यापारियों लोगों को जागरूक करेगा की चीनी वस्तुओं की बजाय भारतीय उत्पाद ही बेचे और खरीदे जाएं।

खंडेलवाल ने कहा कि चीन से मौटे तौर पर चार प्रकार की वस्तुएं आयात होती हैं जिनमें तैयार माल यानी फिनिश्ड गुड्स, कच्चा माल अर्थात रा मैटेरियल, स्पेयर पार्ट्स तथा तकनीकी उत्पाद शामिल हैं। वर्ष 2001 चीनी वस्तुओं का आयात केवल दो बिलियन डालर था जो अब वर्तमान में बढ़कर 70 बिलियन डालर हो गया है जिसका मतलब यह है कि केवल 20 वर्षों में चीन से आयात में 3500 फीसद की वृद्धि हुई है। यह साफ दर्शाता है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत चीन भारत के खुदरा बाजार पर कब्जा जमाने की कोशिश में लगा हुआ है जिसको भारत के व्यापारी व नागरिक किसी भी सूरत में सफल नहीं होने देंगे।

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