लग्जरी आफिस और वहां मौजूद ग्राहक दिखाकर प्लाट के नाम पर दंपती से कर ली 95 लाख की ठगी, जानिए ठगी का पूरा मामला

वर्ष 2017 में उन्होंने इलाके में आकाश यमुना टाउनशिप के नाम का पोस्टर देखा। वे पति के साथ पोस्टर पर दिए पते पर पहुंचीं। वहां पर आफिस देखकर दंपती काफी प्रभावित हो गए। वहां पर उन्हें मिले कौसर अंसारी ने उन्हें बताया कि उनकी कंपनी रजिस्टर्ड है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 01:33 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 01:33 PM (IST)
लग्जरी आफिस और वहां मौजूद ग्राहक दिखाकर प्लाट के नाम पर दंपती से कर ली 95 लाख की ठगी, जानिए ठगी का पूरा मामला
मामले में कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रापर्टी डीलर का लग्जरी आफिस और वहां पर मौजूद ग्राहकों को देखकर एक दंपती को प्लाट खरीदना काफी भारी पड़ गया। प्रापर्टी डीलर ने किसी दूसरे के नाम का प्लाट उनके नाम पर कर दिया और उनसे 95 लाख रुपये ठग लिए। मामले में कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़ित महिला नूतन मिश्रा परिवार के साथ करावल नगर में रहती हैं।

वर्ष 2017 में उन्होंने इलाके में आकाश यमुना टाउनशिप के नाम का पोस्टर देखा। वे पति के साथ पोस्टर पर दिए पते पर पहुंचीं। वहां पर आफिस देखकर दंपती काफी प्रभावित हो गए। वहां पर उन्हें मिले कौसर अंसारी ने उन्हें बताया कि उनकी कंपनी रजिस्टर्ड है। फिलहाल, उनके पास प्लाट बहुत कम हैं। जो नकद भुगतान करेगा उसे ही प्लाट दिया जाएगा। आरोपित ने प्लाट से जुड़े असली कागजात भी दिखाए। कागजात देखने के बाद उन्हें भरोसा हो गया और उन्होंने 95 लाख रुपये कौसर अंसारी को दे दिया।

इसके बाद आरोपित ने पीडि़त को रजिस्ट्रार आफिस में ले जाकर प्लाट की रजिस्ट्री भी करवा दी। रजिस्ट्री होने के बाद 16 नवंबर 2018 को वे पति के साथ प्लाट की सफाई कराने पहुंचीं तो उन्हें वहां पर पता चला कि यह प्लाट तो अनिल गिरी का है। इसके बाद उन्होंने अनिल गिरी से संपर्क किया तो उसने बताया कि उसने यह पूरा 500 गज का प्लाट रवींद्र सिंह से खरीदा था। तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ।

उधर मनी लाड्रिंग के उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के खिलाफ अमेरिकी आनलाइन भुगतान गेट-वे पेपाल की याचिका पर वित्तीय खुफिया इकाई (एफआइयू) ने जवाब दाखिल कर दिया। एफआइयू ने न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ के समक्ष कहा कि मनी लान्डि्रंग गतिविधियों के लिए पेपाल का दुरुपयोग किया गया है। एफआइयू ने इसके साथ ही कुछ दस्तावेजों को सीलबंद कवर में पेश करने की अनुमति मांगी। हालांकि, पीठ ने यह कहते हुए सुनवाई 11 जनवरी के लिए स्थगित कर दी कि दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति मांगने वाला आवेदन रिकार्ड पर नहीं है। पीठ ने कहा कि एफआइयू के 17 दिसंबर 2020 के फैसले पर रोक लगाने संबंधी 12 जनवरी का अंतरिम आदेश अगली सुनवाई तक जारी रहेगा।

पेपाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज दाखिल करने के आवेदन का विरोध किया और कहा कि कंपनी एक मध्यस्थ है और उन्हें दस्तावेज दिए जाने चाहिए। हालांकि, पीठ ने कहा कि अदालत को यह देखना होगा कि क्या कुछ बहुत गंभीर है तो वह सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति देगा अन्यथा नहीं। अदालत ने 12 जनवरी को एफआइयू के 17 दिसंबर 2020 के आदेश पर रोक लगा दी थी। एफआइयू ने आदेश दिया था कि पेपाल अपने सभी लेनदेन का रिकार्ड सुरक्षित सर्वर में रखे और दो सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट में 96 लाख रुपये की बैंक गारंटी जमा करे।

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