Book Fair 2020: पुस्तक मेला बना ‘किताबगंज’ हर कोने में किताबों की चर्चा

Book Fair 2020 समाप्ति की ओर बढ़ता विश्व पुस्तक मेला ‘किताबगंज’ सरीखी शक्ल अख्तियार कर रहा है। पुस्तक प्रेमियों के साथ ही लेखक-साहित्यकारों का भी बड़ी संख्या में जमावड़ा हो रहा है

By Pooja SinghEdited By: Publish:Sat, 11 Jan 2020 06:05 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jan 2020 06:05 PM (IST)
Book Fair 2020: पुस्तक मेला बना ‘किताबगंज’ हर कोने में किताबों की चर्चा
Book Fair 2020: पुस्तक मेला बना ‘किताबगंज’ हर कोने में किताबों की चर्चा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। समाप्ति की ओर बढ़ता विश्व पुस्तक मेला ‘किताबगंज’ सरीखी शक्ल अख्तियार कर रहा है। पुस्तक प्रेमियों के साथ ही लेखक-साहित्यकारों का भी बड़ी संख्या में जमावड़ा हो रहा है। कहीं पुस्तक लोकार्पण हो रहे हैं तो कहीं पुस्तक चर्चा और कहीं साहित्यिक संगोष्ठी। ज्यादातर स्टालों में इसके लिए अलग से कार्नर भी बने हुए हैं। नौ दिवसीय इस मेले के सातवें दिन शुक्रवार को कार्यदिवस होने के बावजूद मेले में पाठकों की रौनक देखते ही बनी। सप्ताहांत के दो दिन में पुस्तक प्रेमियों की यह भीड़ और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। रविवार को पुस्तकों का यह महाकुंभ खत्म हो जाएगा।

छात्र आंदोलन, ¨हसा और गांधीवाद : उषा किरण खान: वाणी प्रकाशन के स्टॉल (हॉल नंबर-12ए) पर पद्मश्री लेखिका उषा किरण खान के उपन्यास ‘सीमांत कथा’ पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम में लेखिका एवं पत्रकार गीताश्री, लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रोफेसर अल्पना मिश्र, पर्यावरणविद सोपान जोशी, वाणी प्रकाशन के महानिदेशक अरुण माहेश्वरी, ग्रामीण संवेदना के वरिष्ठ लेखक मनीष कटारिया, आराधना प्रधान और वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह भी उपस्थित रहे।

कवि उद्भ्रांत के महाकाव्य के चतुर्थ संस्करण का लोकार्पण : अमन प्रकाशन के स्टॉल पर वरिष्ठ कवि उद्भ्रांत के युधिष्ठिर पर केंद्रित बहुचर्चित महाकाव्य ‘अभिनव पांडव’ के चतुर्थ संस्करण के लोकार्पण पर बोलते हुए वरिष्ठ आलोचक विनोद शाही ने कहा कि आज जिस दौर में धर्म को लेकर जो समस्याएं आ रही हैं उसकी विसंगतियों की पड़ताल आज के संदर्भ में यह महाकाव्य करता है। आलोचक राम्प्रकाश कुशवाहा ने कहा कि इस महाकाव्य में महाभारत की कथा को आज के यथार्थ के सापेक्ष पुन: प्राप्त किया गया है और यह सत्ता-विमर्श के नए प्रश्न उठाता है। प्रारंभ में कवि उद्भ्रांत ने काव्य के इतने कम समय में चार संस्करण हो जाने को सुखद आश्चर्य बताते हुए रचना के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला।

पुस्तक ‘जिंदगी चलते-चलते’ पर हुई परिचर्चा : हॉल नंबर-12ए के लेखक मंच पर लेखक सतीश उपाध्याय की पुस्तक ‘जिंदगी चलते-चलते’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। मंच का संचालन वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने किया। यह पुस्तक मूल रूप से एक कविता संग्रह है, जिसमें जिंदगी के छोटे-छोटे लम्हों, वाकिया व प्रसंगों को कविता का रूप दिया गया है। इस मौके पर यश पब्लिकेशन के निदेशक राहुल भारद्वाज ने कहा कि यह पुस्तक कहीं ना कहीं आपके हृदय को स्पर्श करती दिखाई देगी।

दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरक कहानियों का हुआ लोकार्पण

हॉल नंबर-12 ए के लेखक मंच पर रेनू सैनी की पुस्तक दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरक कहानियों का लोकार्पण हुआ। पुस्तक का लोकार्पण वरिष्ठ पत्रकार हितेश शंकर, प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार व पीयूष कुमार ने किया। प्रभात प्रकाशन की ओर से प्रकाशित यह पुस्तक कहानियों के जरिये पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के उन सभी पहलुओं से अवगत कराती है जिनके बारे में उन्होंने चिंतन ही नहीं किया, बल्कि जीवनभर उन पर चलकर भी दिखाया है।

चमुआ-कलुआ-बुधिया और राष्ट्रवाद पुस्तक का लोकार्पण

राजकमल प्रकाशन के जलसा घर में पाठकों के बीच लेखिका महुमा माजी की ने अपने शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास से एक छोटा सा हिस्सा पढ़ कर सुनाया। चमुआ-कलुआ-बुधिया और राष्ट्रवाद पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। किताब पर आलोचक मृत्युंजय से बातचीत करते हुए लेखक राम मिलन ने कहा, आज सारी राजनीति धर्म पर टिकी हुई है। रमुआ-कुलआ-बुधिया कोई नाम न होकर पूरा जनमानस है। किताब में लेखक ने राष्ट्रवाद की कई प्रकार की अवधारणाओं पर विस्तार से बताया है।

‘महात्मा गांधी का स्वच्छता संदेश’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन 

दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की ओर से ‘महात्मा गांधी का स्वच्छता संदेश’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रामशरण गौड़, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड की ओर से की गई।

उन्होंने गांधी जी के जीवन मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए श्रोताओं से सदाचार को अपने आचरण का हिस्सा बनाने के लिए अपील की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सीताराम गुप्ता, डॉ.नीरज भारद्वाज एवं विश्वनाथ पांडेय (नीरद) उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने स्वच्छता के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाते हुए जीवन में स्वच्छता अपनाने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया तथा सर्वप्रथम मन की स्वच्छता पर भी जोर देने की आवश्यकता को दर्शाया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. बबीता गौड़, वरिष्ठ पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की ओर से श्रोताओं से अनुरोध किया गया कि सभी को सदा स्वच्छता के प्रति सचेत रहना चाहिए।

मेले की गरिमा हो रही प्रभावित

पुस्तक मेले की गरिमा में नकली उत्पाद और कबाड़ वाली अंग्रेजी पुस्तकों का किलो के भाव बिकना थोड़ा अखरता है। कुछ स्टालों पर सड़क के हॉकर्स की भांति चिल्ला-चिल्ला कर किलो के भाव वाली पुस्तकों को बेचने का प्रयास भी मेले की गरिमा के अनुरूप नहीं लगता। बोलती रामायण ब्रांड की लोकप्रियता को भुनाने के लिए भी किसी संचालक ने ‘रेडियो बोलती रामायण’ नाम से मेले में डिवाइस प्रस्तुत की है। जिसमें अजय मूंधड़ा की आवाज में रामायण अखंड पाठ नही है और न ही लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस का प्रमाण पत्र। हंिदूी भाषा में संपूर्ण रामायण होने का दावा भी सही नहीं है और कंटेंट की रिकॉर्डिग आदि भी प्रोफेशनल स्तर की तो नहीं प्रतीत होती। मेला आयोजकों ने भी शायद लापरवाही में ही बोलती रामायण नाम से दो अलग-अलग संचालकों को स्टाल आवंटित कर दिए। प्रगति मैदान में पुस्तक प्रेमियों के साथ लेखकों का भी लगा जमावड़ा, ज्यादातर स्टालों पर बने कॉर्नर पर हो रही साहित्य की चर्चा हुई।

प्रभात प्रकाशन के स्टाल पर श्वेता परमार निक्की की पुस्तक ठक्कर बापा का लोकार्पण हुआ। यश पब्लिकेशंस के स्टाल पर उषा यादव और कामना सिंह की पांच पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर छाया शर्मा, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, शकुंतला कालरा और प्रो.बीना शर्मा उपस्थित रहीं। लेखक मंच पर सामयिक संवाद कार्यक्रम के तहत वरिष्ठ कथाकार चित्र मुदगल पाठाकों से रूबरू हुईं। कार्यक्रम का संचालन प्रकाशक महेश भारद्वाज ने किया। किताबघर के स्टाल पर साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता नासिरा शर्मा पाठकों से मिलीं। इस दौरान प्रकाशक सत्यव्रत शर्मा और राजीव शर्मा भी उपस्थित रहे।

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