शाहीन बाग में प्रदर्शन का चेहरा बनीं बिलकिस दादी का CAA को लेकर चौंकाने वाला बयान

पत्रकारों से बातचीत में बिलकिस दादी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना बेटा बताया। दादी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री बुलाएंगे तो उनके सामने अपनी बात रखेंगे। सभी लोगों की मदद से उन्हें टाइम्स पत्रिका में जगह मिली।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 01:41 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 01:41 PM (IST)
शाहीन बाग में प्रदर्शन का चेहरा बनीं बिलकिस दादी का CAA को लेकर चौंकाने वाला बयान
टाइम्स पत्रिका द्वारा 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल बिलकिस दादी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। टाइम्स पत्रिका द्वारा 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल शाहीन बाग की बिलकिस दादी एक बार फिर चर्चा में हैं। ताजा बयान में उन्होंने वह भविष्य में कभी भी नागरिकता संशोधन कानून  के खिलाफ धरना नहीं देंगीं। बता दें कि मंगलवार को प्रेस क्लब में बिलकिस दादी ने कहा कि अब वह दोबारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में धरना नहीं देंगी।

अभी कोरोना से लड़ने का समय

इसी पत्रकार वार्ता में उन्होंने यह भी कहा कि यह कोरोना से लड़ने का समय है। पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है। सभी लोग भाईचारे के साथ रहें। वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना बेटा बताया। दादी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री बुलाएंगे तो उनके सामने अपनी बात रखेंगे। सभी लोगों की मदद से उन्हें टाइम्स पत्रिका में जगह मिली।

यहां पर बता दें कि टाइम मैग्‍जीन ने बिलकिस बानो को इस साल दुनिया भर की 100 सबसे ताकतवर हस्तियों में शामिल किया  है। इस सूची में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। पिछले दिनों बातचीत में बिल्किस बानो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना बेटा बताते हुए उन्‍हें लंबी उम्र का आशीर्वाद दिया। वहीं, टाइम मैग्‍जीन द्वारा चयनित 100 प्रमुख हस्तियों के तौर पर उन्‍होंने अपना नाम चुने जाने पर खुशी भी जताई। इस दौरान बिलकिस बानो ने कहा कि पीएम मोदी उनके बेटे हैं। क्‍या हुआ जो उन्‍होंने मोदी को जन्‍म नहीं दिया। उनकी बहन ने ही उन्‍हें पैदा किया है। इस मौके पर उन्‍होंने कहा कि वो दुआ करती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंबी आयु हो और उन्‍हें तमाम खुशियां नसीब हों।

गौरतलब है कि दक्षिण दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में राष्ट्रीय नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ कई महीनों तक प्रदर्शन चला था। वहीं, 24-25 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली के दर्जन भर इलाकों में दंगा भी हुआ था, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी।

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