स्वास्थ्य क्षेत्र पर पड़ेगी जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी मार, रहना होगा तैयार

डा मारिया नीरा के मुताबिक 21वीं सदी की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संबंधी चुनौती यानी जलवायु परिवर्तन और उससे निपटने के तरीकों के बारे में जरूरी जानकारी मुहैया कराना आज समय की मांग है। जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक खतरे पर बात करने की सबसे ज्यादा जरूरत है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 08:27 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 08:27 AM (IST)
स्वास्थ्य क्षेत्र पर पड़ेगी जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी मार, रहना होगा तैयार
स्वास्थ्य कर्मियों को तैयार करने के उद्देश्य से बनाया गया अपनी तरह का पहला दस्तावेज

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। वायु प्रदूषण के बाद जलवायु परिवर्तन भी स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या बनने वाला है। लेकिन इसे लेकर अभी तक जनजागरूकता का जहां पूर्णतया अभाव है वहीं हेल्दी एनर्जी इनीशिएटिव इंडिया ने कुछ अन्य संगठनों के सहयोग से इसे लेकर अपनी तरह का पहला मार्गदर्शक दस्तावेज जारी किया है ''नो वैक्सीन फॉर क्लाइमेट चेंज- ए कम्युनिकेशन गाइड ऑन क्लाइमेट एंड हेल्थ फॉर द हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स इन इंडिया''। इस दस्तावेज का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों, नीति निर्धारकों और विधायिका को प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करना और संचार संबंधी विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करना है।

हेल्दी एनर्जी इनीशिएटिव इंडिया ने अन्य संगठनों के सहयोग से किया तैयार

इस मार्गदर्शक दस्तावेज में अध्ययन में उल्लेखित विभिन्न सिफारिशों को शामिल किया गया है। यह दस्तावेज स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों का एक विस्तृत जायजा उपलब्ध कराता है जो जलवायु संबंधी घटनाओं जैसे भीषण तपिश, बाढ़, सूखा, चक्रवाती तूफान और वायु प्रदूषण के रूप में सामने आ सकते हैं। इसमें इन प्रभावों को लेकर स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए जरूरी तैयारी पर भी विस्तार से रोशनी डाली गई है।

शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही पर पड़ने वाले टाॅपिकों को किया गया शामिल

जलवायु परिवर्तन के कारण शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों से संबंधित मूलभूत मुद्दों को शामिल किया गया है। यह मार्गदर्शक दस्तावेज जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाओं की वजह से स्वास्थ्य पर संभावित प्रभावों से निपटने के लिए जरूरी उपाय भी सुझाता है। यह वे उपाय हैं जो स्वास्थ्य पेशेवर लोग अपने मरीजों, समुदायों और नीति निर्धारकों को सलाह के तौर पर बता सकते हैं। इस दस्तावेज में स्वास्थ्य प्रणालियों को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं।

वेबिनार के जरिए हुई चर्चा

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा इस दस्तावेज पर वेबिनार के जरिये व्यापक चर्चा भी की गई। इस चर्चा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट की निदेशक डा मारिया नीरा और लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी डा अरविंद कुमार सहित विभिन्न राज्यों के जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य से संबंधित नोडल अधिकारियों ने भी शिरकत की।

जलवायु परिवर्तन वैश्विक खतरे की तरह

डा मारिया नीरा के मुताबिक 21वीं सदी की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संबंधी चुनौती यानी जलवायु परिवर्तन और उससे निपटने के तरीकों के बारे में जरूरी जानकारी मुहैया कराना आज समय की मांग है। जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक खतरे पर बात करने की सबसे ज्यादा जरूरत है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम कुदरत, पारिस्थितिकी और जैव विविधता को बर्बाद करने की मूर्खतापूर्ण हरकतों के खिलाफ एक बड़ी आवाज बनें।

मानव सभ्यता के लिए इस सदी का सबसे बड़ा खतरा

लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी डा. अरविंद कुमार कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन मानव सभ्यता के लिए इस सदी का सबसे बड़ा खतरा बन गया है। दुनिया जहां कोविड-19 महामारी से उबर रही है, वहीं स्वास्थ्य क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई और पैरोकारी में अग्रिम और केंद्रीय भूमिका में रखना ही होगा।

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