जूनागढ़ बैठक से पहले उत्तराखंड सरकार के फैसले ने बढ़ाया विहिप का उत्साह, जानिए क्या है पूरा मामला?

विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने धामी सरकार के इस निर्णय को हिंदू भावनाओं और भारतीय संविधान की भावना के अनुसार बताया है। इसके साथ कहा कि विहिप हिंदू मंदिरों को विभिन्न राज्य सरकारों के नियंत्रण से मुक्त कराने का अपना अभियान जारी रखेगी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 06:50 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 06:50 PM (IST)
जूनागढ़ बैठक से पहले उत्तराखंड सरकार के फैसले ने बढ़ाया विहिप का उत्साह, जानिए क्या है पूरा मामला?
दिसंबर में बोर्ड आफ ट्रस्टी की बैठक में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के आंदोलन पर होगा विमर्श।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। अगले माह जूनागढ़ में बोर्ड आफ ट्रस्टी की बैठक से पहले उत्तराखंड सरकार के फैसले ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का उत्साह बढ़ाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा बनाए गए चारधाम देवस्थानम बोर्ड अधिनियम को रद्​द करने का निर्णय लिया है। विहिप इस मामले को विभिन्न स्तर पर इस मांग को जोरदार तरीके से उठाती रही है।

इसी वर्ष अप्रैल में हरिद्वार में हुए केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में भी विहिप ने सभी राज्य सरकारों से हिंदू मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थानों को हिंदू समाज को वापस सौंपने का आह्वान किया था। उस बैठक में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी गए थे और संतों ने उन्हें देवस्थानम बोर्ड को लेकर अपनी आपत्तियों से अवगत कराया था।

विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने धामी सरकार के इस निर्णय को हिंदू भावनाओं और भारतीय संविधान की भावना के अनुसार बताया है। इसके साथ कहा कि विहिप हिंदू मंदिरों को विभिन्न राज्य सरकारों के नियंत्रण से मुक्त कराने का अपना अभियान जारी रखेगी। विहिप का स्पष्ट मत है कि मंदिरों को हिंदू समाज को वापस किया जाना चाहिए और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी हिंदू समाज के सभी वर्गों की भागीदारी से पारदर्शी तरीके से हो। साथ ही मंदिर को मिले दान या उससे संबंधित धन और संपत्ति का उपयोग केवल हिंदुओं के संबंध में हो।

बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद इस वर्ष के आरंभ से विहिप ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने तथा धर्मांतरण के विरूद्ध कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया है। मंदिरों के मामले में दस्तावेज तैयार करने तथा उसे केंद्र सरकार को सौंपने के लिए विहिप ने शीर्ष पदाधिकारियों की एक समर्पित टीम भी गठित की है, जो फिलवक्त देश भ्रमण कर ऐसे मंदिरों की स्थिति को देखते तथा स्थानीय समाज को इसके लिए तैयार करने कर रही है।

दिसंबर के अंतिम सप्ताह में गुजरात के जूनागढ़ में विहिप की तीन दिवसीय बोर्ड आफ ट्रस्टी की बैठक है, जिसमें देशभर से तकरीबन 350 पदाधिकारी व साधु-संत शामिल होंगे। इस बैठक में देशभर की परिस्थिति का विश्लेषण करते हुए मंदिर व धर्मांतरण के आंदोलन को और तेज करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

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