गेंद के आकार की रक्त वाहिका बदल डाक्टरों ने मरीज को दिया जीवनदान
डाक्टरों का कहना है कि हृदय से रक्त को शरीर के बाकी हिस्सों में ले जाने वाली मुख्य धमनी 6.5 सेमी चौड़ी हो गई थी जो सामान्य से दोगुनी है।मुख्य धमनी का आकार फूलकर गेंद के आकार जैसा हो गया था। ऐसी स्थिति में यह कभी भी फट सकती थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 23 वर्षीय महिला को पिछले सप्ताह सीने में दर्द हुआ। इसके बाद उन्हें द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर अस्पताल में लाया गया। अस्पताल में उन्हें और स्वजन को स्थिति की गंभीरता का पता चला। लखनऊ निवासी यह महिला इन्हेरिटेड मार्फन सिंड्रोम से पीड़ित थी। डाक्टर के मुताबिक यह एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है, जो हार्ट, आंखों, धमनियों व हड्डियों जैसे संयोजी ऊतकों और अंगों को प्रभावित करती है।
डाक्टरों का कहना है कि इस बीमारी के कारण महिला की हृदय से रक्त को शरीर के बाकी हिस्सों में ले जाने वाली मुख्य धमनी 6.5 सेमी चौड़ी हो गई थी, जो सामान्य से दोगुनी है। मुख्य धमनी का आकार फूलकर गेंद के आकार जैसा हो गया था। ऐसी स्थिति में यह कभी भी फट सकती थी, जिससे उनकी मृत्यु होने का खतरा था।
महिला का एआर्टिक डीसेक्सन (प्रमुख धमनी की दीवार का फटना) हृदय से दाहिने पैर तक फैल गया था। इसलिए डाक्टरों ने एक कृत्रिम ग्राफ्ट का उपयोग करके वाल्व और प्रमुख धमनी के एक हिस्से को बदल दिया, जिससे महिला को एक नया जीवन मिला। महिला की मां और दो भाई भी पहले इस बीमारी से पीड़ित हो चुके थे।
अस्पताल में कार्डिएक सर्जरी विभाग के निदेशक डा. अभय कुमार ने इस कठिन सर्जरी के बारे में बताते हुए कहा कि मार्फन सिंड्रोम ने प्रमुख धमनी की बाहरी दीवार के ऊतक को पतला बना दिया। इस वजह से इसके टूटने का खतरा था, जो घातक हो सकता था, ऐसा होने पर हर गुजरते घंटे के साथ मौत का खतरा एक फीसद बढ़ता जाता है। धमनी का टूटने पर 50 फीसद मरीजों की मृत्यु दो दिनों के अंदर हो सकती है। प्रमुख धमनी का व्यास 4.5 सेमी या ज्यादा है तो यह बेंटाल सर्जरी का संकेत होता है। इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
डा. अभय ने बताया कि बेंटाल सर्जरी के लिए विशेषज्ञता और बेहतर टीमवर्क जरूरी होता है। इस सजर्री के दौरान कुछ समय के लिए शरीर को खून की आपूर्ति पूरी तरह से बंद करनी पड़ती है। इसके साथ ही पैरालाइसिस को रोकने के लिए मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति को भी नियंत्रित कराना जरूरी होता है। सर्जरी के दौरान एक्मो थेरेपी (हृदय और फेफड़े ठीक काम न करने पर मरीज को आक्सीजन देना) का भी उपयोग किया गया था। डाक्टरों की टीम ने सात घंटे में सफलतापूर्वक सर्जरी पूरी की। सर्जरी के बाद मरीज ठीक है और अब वह सामान्य जीवन जी सकती हैं।
क्या है बेंटाल सर्जरी
एक ब्रिटिश हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर ह्यूग बेंटाल के नाम पर ओपन-हार्ट सर्जरी को बेंटाल सर्जरी के नाम से जाना जाता है, जिसमें प्रभावित वाल्व और प्रमुख धमनी को बदलना और धमनियों को फिर से जोड़ना शामिल होता है। इस प्रक्रिया का आविष्कार प्रोफेसर बेंटाल ने किया था।