भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बौद्ध तीर्थस्थल रंगदुम मठ को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने 18वीं शताब्दी के बौद्ध तीर्थस्थल रंगदुम मठ को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक का दर्जा दिया है। अक्टूबर 2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद रंगदुम मठ पहला स्मारक है जिसे एएसआइ ने लद्दाख में राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने 18वीं शताब्दी के बौद्ध तीर्थस्थल रंगदुम मठ को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक का दर्जा दिया है। अक्टूबर 2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद रंगदुम मठ पहला स्मारक है जिसे एएसआइ ने लद्दाख में राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है। एएसआइ ने इसके संबंध में एक अधिसूचना जारी की है।
बौद्ध धर्म के गेलुग्पा पंथ से संबंधित इस मठ के केंद्रीय कक्ष में बौद्ध धर्म से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत का एक संग्रहालय बना है। इसमें कई दुर्लभ वस्तुएं जैसे तिब्बती शंख और कई प्राचीन शास्त्र व कलाकृतियां सहेज कर रखी गई हैं। मठ में करीब 40 भिक्षुओं के आवास की व्यवस्था है।
मठ में दो विशाल आंगन हैं। इनमें तिब्बती संस्कृति व प्राचीन बौद्ध परंपराओं के चित्र बने हैं। मठ की दीवारों पर जीवन का पहिया, रहस्यवादी मोनोग्राम, नमचू वांगडान के चित्र, ममीकृत मूर्तियां तमाम ऐसे आकर्षण हैं जो पर्यटकों को बेहतरीन अनुभव देते है। मठ में रखा भगवान बुद्ध का एक विशाल कैलेंडर वर्ष के छठे माह के पांचवें दिन एक बार फहराया जाता है।
एएसआइ के मुताबिक सुरू घाटी में यह एकमात्र जीवंत स्मारक है, जहां लोग रहते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। यह इस धारणा की भी पुष्टि करता है कि बौद्ध लद्दाख के इस हिस्से में भी काफी सक्रिय रहे थे। मठ भौतिक रूप से भले ही सुरू घाटी में मौजूद है, लेकिन सांस्कृतिक तौर पर यह जंस्कार से जुड़ा है। फिलहाल इसकी देखरेख रंग्दुम गोंपा कल्चर एंड वेलफेयर सोसायटी, जंस्कार की तरफ से की जा रही है।
राष्ट्रीय धरोहर होने से इस तरह होता है फायदा
राष्ट्रीय महत्व स्मारक घोषित किए जाने के बाद स्मारक का संरक्षण व रख-रखाव एएसआइ की तरफ से किया जाता है व इस पर होने वाला पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है। अगर कोई जीवंत स्मारक है तो एएसआइ की अनुमति के बिना स्मारक के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। नजर रखने के लिए एएसआइ के कर्मचारी स्मारक में हमेशा मौजूद रहते हैं।