आम्रपाली ग्रुप के अजय कुमार की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा, आरोप गंभीर प्रकृति का है

amrapali group news सोसायटी के 38 केस फैसले के लिए सूचीबद्ध थे जिसमें कोर्ट ने एम्मार इंडिया लिमिटेड को सभी शिकायतकर्ताओं को फ्लैट्स का कब्जा देने में हुए विलंब के लिए मुआवजा देने के आदेश दिया है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:24 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:24 AM (IST)
आम्रपाली ग्रुप के अजय कुमार की जमानत याचिका खारिज,  कोर्ट ने कहा, आरोप गंभीर प्रकृति का है
आम्रपाली ग्रुप के अजय कुमार की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा, आरोप गंभीर प्रकृति का है

नई दिल्ली/गुरुग्राम, जागरण संवाददाता। दिल्ली से सटे गुरुग्राम के सेक्टर-102 स्थित एम्मार गुड़गांव ग्रींस में फ्लैट आवंटियों को हरियाणा रियल एस्टेट रेगूलेटरी अथारिटी (हरेरा), गुरुग्राम से बड़ी राहत मिली है। सोसायटी के 38 केस फैसले के लिए सूचीबद्ध थे जिसमें कोर्ट ने एम्मार इंडिया लिमिटेड को सभी शिकायतकर्ताओं को फ्लैट्स का कब्जा देने में हुए विलंब के लिए मुआवजा देने के आदेश दिया है। एम्मार गुड़गांव ग्रींस के खरीदारों की तरफ से अधिवक्ता जगदीप कुमार शयोरान ने बताया कि लगभग सभी मामले उन आवंटियों के थे, जिन्हें दो से तीन साल की देरी से बिल्डर द्वारा कब्जा दिया गया था और बिल्डर द्वारा दिए गए हर्जाने से वो संतुष्ट नहीं थे।

एम्मार आवंटियों को देगा मुआवजा

वहीं, निवेशक व खरीदार से कथित धोखाधड़ी के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के निदेशक व सिलिकान सिटी प्राइवेट लिमिटेड के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता अजय कुमार को जमानत देने से इन्कार कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरभि शर्मा वत्स के कोर्ट ने कहा कि अजय पर लगे आरोप बहुत गंभीर हैं। यह मामला बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित करने वाली मोटी रकम से जुड़ा है, ऐसे में आरोपित को जमानत देना उचित नहीं है।

इस मामले में शिकायतकर्ता अनुभव जैन की ओर से पेश अधिवक्ता प्रदीप तेवतिया ने कहा कि नोएडा स्थित आम्रपाली सिलिकान सिटी आवासीय परियोजना के जी-1 टावर में 26 फ्लैटों का आवंटन उनके मुवक्किल को करने का वादा किया गया था। इसके एवज में परियोजना का निर्माण कर रही आम्रपाली सिलिकान सिटी प्राइवेट लिमिटेड को 6.6 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। अधिवक्ता ने जांच का हवाला देते हुए दावा किया कि नोएडा प्राधिकरण ने कभी इस टावर के निर्माण के लिए स्वीकृति ही नहीं दी थी। यही नहीं बिल्डर फर्म द्वारा मासिक रिटर्न और मूल राशि के सुरक्षा चेक उनके मुवक्किल को जारी किए गए थे, जिनको बैंक में प्रस्तुत करने पर भुगतान नहीं मिला। इससे जाहिर होता है कि आरोपित की पहले से ही धोखा देने की मंशा थी। वहीं, आरोपित के वकील ने कहा कि अजय इस तरह की किसी धोखाधड़ी में शामिल नहीं है। उसे गलत फंसाया जा रहा है। अतिरिक्त लोक अभियोजक ने भी जमानत अर्जी का विरोध किया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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