एलोपैथी के डॉक्टरों ने बाबा रामदेव पर लगाया था गलत सूचना फैलाने का आरोप, अब 30 जुलाई को होगी सुनवाई

बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी के खिलाफ दिये बयान के खिलाफ सात डाक्टरों के संघ की तरफ से दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई टल गई। अपरिहार्य कारणों से न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ नहीं बैठी और सुनवाई को 30 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 02:58 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 02:58 PM (IST)
एलोपैथी के डॉक्टरों ने बाबा रामदेव पर लगाया था गलत सूचना फैलाने का आरोप, अब 30 जुलाई को होगी सुनवाई
डाक्टरों के संघों ने बाबा रामदेव पर एलोपैथ को लेकर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी के खिलाफ दिये गये बयान के खिलाफ सात डाक्टरों के संघ की तरफ से दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई टल गई। सोमवार को अपरिहार्य कारणों से न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ नहीं बैठी और सुनवाई को 30 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया। डाक्टरों के संघों ने बाबा रामदेव पर एलोपैथ को लेकर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया है।

हाई कोर्ट ने डाक्टर संघों को अंतरिम राहत देने से इन्कार करते हुए बाबा रामदेव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। साथ ही डाक्टरों के संघों के अधिवक्ता को गलत सूचना से संबंधित वीडियो को पेश करने का निर्देश दिया था। मालूम हो कि कोर्ट के समक्ष याचिका दायर करने वाले डॉक्टरों के संघों में तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, ऋषिकेश, पटना और भुवनेश्वर, एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़, यूनियन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ऑफ पंजाब (यूआरडीपी), रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ और तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, हैदराबाद शामिल हैं।

तीन जून को जारी किया था समन

कोर्ट ने एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ कथित बयानों और पतंजलि की कोरोनिल किट के दावों के संबंध में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर तीन जून को रामदेव को समन जारी किया था। कोर्ट ने उस समय कहा था कि एलोपैथिक पेशा इतना नाजुक नहीं है। कोर्ट ने उस समय मौखिक रूप से रामदेव के वकील से कहा था कि वह बाबा रामदेव को भड़काऊ बयान देने से मना करें। कोई भी चिकित्सा पद्धति के बारे में बिना किसी प्रमाण और रिसर्च के उसे बेकार नहीं कह सकता है। खासकर जब देश महामारी के दौर से गुजर रहा हो।

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