JNU Sedition Case: कन्हैया कुमार समेत सभी आरोपितों को आरोपपत्र देने का दिया आदेश

JNU Sedition Case सोमवार को कोर्ट सभी आरोपियों को ये जानकारी देगी की उनके खिलाफ केस चलाने की अनुमति दिल्ली सरकार ने दे दी है। जिसके बाद अगली तारीख दी जाएगी और उस दिन से ट्रायल शुरू हो जाएगा।

By Jp YadavEdited By: Publish:Mon, 15 Mar 2021 10:37 AM (IST) Updated:Mon, 15 Mar 2021 11:20 AM (IST)
JNU Sedition Case:  कन्हैया कुमार समेत सभी आरोपितों को आरोपपत्र देने का दिया आदेश
जेएनयू देशद्रोह मामले में आरोपित कन्हैया कुमार।

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। JNU Sedition Case:  जेएनयू देशद्रोह मामले में कन्हैया कुमार और अन्य आरोपितों को दिल्ली की पटियाला हाउस ने सोमवार को सुनवाई के दौरान आरोपपत्र देने का आदेश दिया। अब इस मामले में सुनवाई अगले महीने 7 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने इन सभी को सोमवार को पेश होने का समन दिया था। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार से देशद्रोह मामले में केस चलाने की अनुमति मिलने के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को कोर्ट में हाज़िर होने के लिए समन किया था। सोमवार को कोर्ट सभी आरोपियों को ये जानकारी कि उनके खिलाफ केस चलाने की अनुमति दिल्ली सरकार ने दे दी है। जिसके बाद अगली तारीख दी जाएगी और उस दिन से ट्रायल शुरू हो जाएगा।

यहां पर बता दें कि पिछले साल फरवरी महीने में ही अरविंद केजरीवाल सरकार ने 2016 में देश विरोधी नारे लगाने के लिए देशद्रोह के आरोपितों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी। कन्हैया कुमार समेत सभी आरोपितों पर आइपीसी की धारा 124 ए (देशद्रोह), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने), 465, 471 (जालसाजी), 143, 149 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा भड़काना) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज है। 

यह है पूरा मामला

9 फरवरी, 2016 को संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी देने के खिलाफ जवाहर लाल नेहरू परिसर में एक आयोजन हुआ था। आरोप है कि इस आयोजन के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगे थे। शिकायत पर दो दिन बाद यानी 11 फरवरी, 2016 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद तीन साल बाद जनवरी 2019 में, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष मामले में एक आरोप पत्र दायर किया गया था, जिसमें उपरोक्त अभियुक्तों का नाम था।

क्या है आरोप पत्र में

दिल्ली पुलिस द्वारा कोर्ट में दायर आरोप पत्र में कहा गया गया है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था और इसमें सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फुटेज और दस्तावेजी सबूत शामिल हैं। हालांकि दिल्ली सरकार से आदेश नहीं होने के कारण तब इसे खारिज कर दिया गया था।

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