एम्स की दलील की अब 'सर्जरी' होगी दिल्ली हाई कोर्ट में, जानिए- पूरा मामला

बीमारी से जंग लड़ रही उत्तर प्रदेश की एक महिला ने एक और लड़ाई एम्स के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में छेड़ दी है।

By Edited By: Publish:Mon, 17 Aug 2020 11:31 PM (IST) Updated:Tue, 18 Aug 2020 08:43 AM (IST)
एम्स की दलील की अब 'सर्जरी' होगी दिल्ली हाई कोर्ट में, जानिए- पूरा मामला
एम्स की दलील की अब 'सर्जरी' होगी दिल्ली हाई कोर्ट में, जानिए- पूरा मामला

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। जिंदगी की उम्मीद लेकर उत्तर प्रदेश के कानपुर से दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहुंची महिला की सर्जरी करने से डॉक्टरों ने इनकार कर दिया। इसके पीछे एम्स ने दलील दी कि कोरोना महामारी के चलते अब गंभीर मरीजों की सर्जरी नहीं की जा रही है। ऐसे में बीमारी से जंग लड़ रही महिला ने एक और लड़ाई एम्स के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में छेड़ दी है। यहां न्यायमूर्ति नवीन चावला की अदालत में एम्स की दलीलों की सर्जरी (कार्यवाही) शुरू हो गई है। अदालत ने एम्स से पूछा है कि आखिर सर्जरी क्यों बंद हैं।

उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी गुलशन फारुखी ने अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि उन्हें यूटराइन फाइब्रॉइड और एनीमिया की गंभीर बीमारी है। इसके इलाज के लिए वह कानपुर के नेवा केयर एंड गायनी सेंटर में 31 जुलाई को भर्ती हुई थीं, जहां 6 अगस्त को चिकित्सकों ने हालत गंभीर बताकर उन्हें एम्स जैसे बड़े संस्थान में सर्जरी कराने की सलाह दी। इसके बाद 8 अगस्त को वह एम्स पहुंचीं, लेकिन एम्स ने भर्ती नहीं किया। इसके बाद सीताराम भरतिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च में भर्ती हो गई। महिला की हालत को देखते हुए यहां भी डॉक्टरों ने उन्हें सर्जरी की सलाह दी है। साथ ही कहा कि सर्जरी एम्स जैसे किसी संस्थान में कराई जानी चाहिए, जहां ब्लड बैंक के साथ ही आइसीयू की सुविधा भी मिल सके।

अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क कर महिला ने दोबारा एम्स में भर्ती होने का प्रयास किया, लेकिन इस बार भी निराशा हाथ आई। एम्स ने कहा कि कोरोना के कारण गायनी समेत कई विभागों में गंभीर सर्जरी बंद कर दी गई हैं। एम्स के अधिवक्ता ने भी अदालत में यह बात स्वीकार की है। इस पर पीठ ने एम्स को नोटिस जारी कर चार दिन में जवाब मांगा है। इसमें सर्जरी बंद किए जाने की वजह भी स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। याचिका पर अब 21 अगस्त को सुनवाई होगी।

इलाज नहीं करना चाहता कोई भी

अस्पताल महिला ने याचिका में कहा है कि उन्हें दिल्ली का कोई भी अस्पताल इलाज उपलब्ध कराना नहीं चाहता है। ऐसे में यदि एम्स में भी उनकी सर्जरी नहीं हुई तो उनकी जान भी जा सकती है। देशभर के मरीजों को एम्स से उम्मीद रहती है, अगर एम्स ही सर्जरी नहीं करने का फैसला करेगा तो फिर मरीज कहां जाएंगे। एम्स के स्तर पर लिया गया यह फैसला अमानवीय है। इसलिए एम्स को सर्जरी करने के संबंध में निर्देश दिया जाए।

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