‘भगवान’ ने अपनी प्लेटलेट्स देकर बचाई बिहार के एक किशोर की जान

मरीज समीर की मां शाहजहां ने डोनर नहीं मिल पाने के कारण जेरियाटिक विभाग के ही सहायक प्रोफेसर डॉ. विजय गुर्जर से संपर्क कर प्लेटलेट्स की व्यवस्था करने की गुहार लगाई थी। डॉ. विजय के अनुरोध पर डॉ. प्रसून चटर्जी ने ब्लड बैंक में जाकर सिंगल डोनर प्लेटलेट्स दान किया।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 08:24 AM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 08:24 AM (IST)
‘भगवान’ ने अपनी प्लेटलेट्स देकर बचाई बिहार के एक किशोर की जान
एम्स के डॉ. प्रसून चटर्जी ने ब्लड बैंक में जाकर सिंगल डोनर प्लेटलेट्स दान किया।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। डॉक्टरों को धरती का भगवान ऐसे ही नहीं कहा जाता है, क्योंकि वे अपनी जिम्मेदारियों से ऐसा करते रहते हैं, जिससे इंसान को नई जिंदगी मिलती है। इसी कड़ी में अप्लास्टिक एनीमिया नाम के रक्त विकार से पीड़ित बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले 14 वर्षीय मुहम्मद समीर के लिए दिल्ली स्तित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) के डॉक्टर भगवान से कम नहीं है। पहले केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आरोग्ध निधि से 13 लाख रुपये इलाज का खर्च दिलाने में मदद की, जिससे मंगलवार को पीड़ित किशोर का एम्स में बोन मैरो प्रत्यारोपण हो सका। लेकिन, उसे अभी ठीक होने में थोड़ा वक्त लगेगा। इस बीच शरीर में खून नहीं बन पाने के कारण प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है, तो एम्स के डाक्टर डोनर का प्रबंध करते हैं। बृहस्पतिवार को भी उसकी जिंदगी बचाने के लिए प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत थी। परिजनों को डोनर नहीं मिल पा रहे थे। ऐसी स्थिति में एम्स के जेरियाटिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर ड\. प्रसून चटर्जी ने सिंगल डोनर प्लेटलेट्स दान किया, जिससे किशोर की जिंदगी बच सकी।

प्लेटलेट्स की थी बहुत जरूरत

समीर की मां शाहजहां ने डोनर नहीं मिल पाने के कारण जेरियाटिक विभाग के ही सहायक प्रोफेसर डॉ. विजय गुर्जर से संपर्क कर प्लेटलेट्स की व्यवस्था करने की गुहार लगाई थी। डॉ. विजय के अनुरोध पर डॉ. प्रसून चटर्जी ने ब्लड बैंक में जाकर सिंगल डोनर प्लेटलेट्स दान किया। इस प्रक्रिया में एक घंटा समय लगता है। प्लेटलेट्स दान करने के बाद वापस ड्यूटी पर आकर काम भी किया। समीर पांच फरवरी से एम्स में भर्ती है। उसकी मां ने बताया कि वह अभी एक से डेढ़ माह तक एम्स में भर्ती रहेगा।

डाक्टर कहते हैं कि प्लास्टिक एनीमिया के कारण उसके शरीर में खून नहीं बन पाता है। अब जब बोन मैरो प्रत्यारोपण हो गया है तो अगले कुछ दिनों में उसके शरीर में धीरे-धीरे खून बनने लगेगा। पीड़ित आयुष्मान भारत का लाभार्थी है। इस योजना के तहत पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है, लेकिन बोन मैरो प्रत्यारोपण में अधिक खर्च आता है।

यहां पर बता दें किपहले आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को आरोग्य निधि से आर्थिक मदद का प्रावधान नहीं था। एम्स के डाक्टरों ने जब यह मामला उठाया तो नियमों में बदलाव किया गया। इसके बाद से समीर के इलाज में जब भी कोई अड़चन आती है, तो उसकी मां डा. विजय से संपर्क करती हैं। डॉ. प्रसून चटर्जी ने कहा कि सिंगल डोनर प्लेटलेट्स दान करने की प्रक्रिया सुरक्षित है। इसलिए जरूरतमंदों की मदद हर किसी को करनी चाहिए।

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