कोरोना के बाद अब हमें स्कूल मैनेजमेंट समिति में अभिभावकों की भागीदारी बढ़ाना जरूरी : सिसोदिया

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमें अब एसएमसी पर ज्यादा ध्यान देना और अभिभावकों भागीदारी बढ़ाना जरूरी है। हाल के वर्षों में एसएमसी में अभिभावकों ने अपनापन दिखाकर सकारात्मक संकेत दिया है। स्कूलों को छोड़कर बाहर चले जाने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा में वापस शामिल करना महत्वपूर्ण है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 06:10 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 09:42 AM (IST)
कोरोना के बाद अब हमें स्कूल मैनेजमेंट समिति में अभिभावकों की भागीदारी बढ़ाना जरूरी : सिसोदिया
दिल्ली सरकार के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन का हुआ समापन।

नई दिल्ली, रीतिका मिश्रा। दिल्ली के सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन का रविवार को कालकाजी स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय में समापन हुआ। इस दौरान साल 2015 से 2020 तक दिल्ली के शैक्षिक सुधारों पर बोस्टन कंसल्टिंग ग्लोब की स्वतंत्र रिपोर्ट पर चर्चा हुई। वहीं, दिल्ली सरकार के स्कूलों के भावी रास्ते के लिए ‘कोरोना के बाद एसएमसी: अभिभावकों के साथ जुड़ाव‘ पर एक अध्ययन की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। अध्ययन में दिल्ली के 50 सरकारी स्कूलों के 1407 अभिभावकों का सर्वेक्षण किया गया। इसमें स्कूल मैनेजमेंट समिति (एसएमसी) के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा सामाजिक-आर्थिक समूहों को ध्यान में रखते हुए अभिभावकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का सुझाव दिया गया।

इस दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमें अब एसएमसी पर ज्यादा ध्यान देना और अभिभावकों भागीदारी बढ़ाना जरूरी है। हाल के वर्षों में एसएमसी में अभिभावकों ने अपनापन दिखाकर सकारात्मक संकेत दिया है। सिसोदिया ने कहा कि स्कूलों को छोड़कर बाहर चले जाने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा में वापस शामिल करना हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे बच्चे नौकरी या किसी तरह जीवन यापन के लिए स्कूल छोड़ते हैं। हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि उनकी स्किलिंग कैसे बढ़ सकती है और हम उन्हें कैसे सहायता प्रदान कर सकते हैं।

उन्होंने शिक्षा को आगे ले जाने के व्यापक विषयों पर चर्चा की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि संबंधित नियम कानूनों को बेहतर बनाने के साथ ही दिल्ली सरकार दिल्ली में नए पाठ्यक्रम और दिल्ली शिक्षा बोर्ड बनाने पर काम कर रही है। उन्होेंने कहा कि जिन स्कूलों के बच्चे अच्छा परिणाम लेकर निकल रहे हैं, उनका समाज के विभिन्न मुद्दों पर क्या माइंडसेट है यह समझना जरूरी है।

वह धर्म, जाति, रंगभेद पर क्या सोचते हैं, महिलाओं के प्रति उनका व्यवहार क्या है, यह देखना जरूरी है। उन्होंने कहा दिल्ली की शिक्षा क्रांति को देखने विभिन्न राज्यों की टीमें आई हैं। लेकिन आंध्रप्रदेश के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह दिलचस्पी लेकर साथ काम करने और आंध्र आने का आमंत्रण दिया है, यह काफी स्वागतयोग्य है। वहीं, आंध्रप्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. औडिमुलापु सुरेश ने कहा कि दिल्ली ने अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। सभी राज्यों को इसका अनुकरण करना चाहिए।

वहीं, अतिरिक्त शिक्षा निदेशक रीता शर्मा और उप शिक्षा निदेशक मुक्ता सोनी ने कक्षा 9 में उत्तीर्ण प्रतिशत कम होने पर आकलन प्रस्तुत किया।इसके अनुसार 2013-14 के बाद से उत्तीर्ण प्रतिशत में प्रगतिशील गिरावट 55.96 फीसद आई थी। लेकिन 2016-17 से सुधार आया है और 2019-2020 में बढ़कर 64.49 फीसद हो चुका है।

इस दौरान दिल्ली सरकार के स्कूलों में सीखने की गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों को समझने के लिए सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च द्वारा ’बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक वृद्धि विषय पर एक अध्ययन रिपोर्ट पेश की गई। इसमें मूल्यांकन प्रणाली, प्रशिक्षण प्रक्रिया को कक्षा में शिक्षण से जोड़ने और प्रशासनिक कार्यों को व्यवस्थित करने संबंधी चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है।

उल्लेखनीय है कि इस सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में भारत के अलावा यूके, यूएसए, जर्मनी, नीदरलैंड, सिंगापुर, फिनलैंड और कनाडा जैसे सात अन्य देश के 22 शिक्षा विशेषज्ञ शामिल हुए थे।

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