ब्लैक और व्हाइट फंगस के बाद अब गाजियाबाद में मिला येलो फंगस से संक्रमित मरीज, इससे पहले इंसान में इसके मिलने का नहीं है कोई रिकार्ड

ब्लैक और व्हाइट के बाद गाजियाबाद में येलो फंगस का मरीज मिला है। यह मरीज तीनों ही संक्रमणों की चपेट में है। मरीज को दो दिन पहले आरडीसी के हर्ष ईएनटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। संजयनगर निवासी कुंवर सिंह को भी पहले कोरोना हुआ था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 24 May 2021 02:41 PM (IST) Updated:Mon, 24 May 2021 02:41 PM (IST)
ब्लैक और व्हाइट फंगस के बाद अब गाजियाबाद में मिला येलो फंगस से संक्रमित मरीज, इससे पहले इंसान में इसके मिलने का नहीं है कोई रिकार्ड
ब्लैक और व्हाइट के बाद गाजियाबाद में येलो फंगस का मरीज मिला है।

नई दिल्ली/गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। ब्लैक और व्हाइट के बाद गाजियाबाद में येलो फंगस का मरीज मिला है। यह मरीज तीनों ही संक्रमणों की चपेट में है। मरीज को दो दिन पहले आरडीसी के हर्ष ईएनटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। संजयनगर निवासी कुंवर सिंह को भी पहले कोरोना हुआ था। अस्पताल के निदेशक डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि येलो फंगस छिपकली में पाया जाता है। इससे पहले इंसान में यह फंगस मिलने का कोई रिकार्ड नहीं है।

ब्लैक व व्हाइट फंगस की तरह यह शरीर के हिस्से को गलाता नहीं है, बल्कि घाव करता है, जिसे भरने में काफी समय लगता है। इसके मरीज को भी एंफोटेरिसीन इंजेक्शन दिया जाता है और सर्जरी की जाती है। उन्होंने बताया कि येलो फंगस वाले मरीज का इलाज किया जा रहा है और रिसर्च भी की जा रही है। इसके बारे में अन्य डॉक्टरों से भी बातचीत की जा रही है। कोरोनावायरस संक्रमण फैलने के बाद ही अब तक ब्लैक और व्हाइट फंगस के मरीज पाए गए थे। मगर ये अपनी तरह का अलग ही मामला है। उन्होंने बताया कि येलो फंगस की गंभीरता को लेकर भी इस दिशा में काम कर रहे डॉक्टरों से बातचीत की जा रही है। साथ ही ये भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि मरीज किस तरह से येलो फंगस का शिकार हुआ है।

उधर कोरोना संकट के बीच देश भर में म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) का संक्रमण भी बढ़ता जा रहा है। अभी तक इसका संक्रमण नाक, आंख और मस्तिष्क में फैल रहा था। लेकिन अब दो मरीजों की छोटी आंत में भी ब्लैक फंगस के संक्रमण से छेद होने के मामले सामने आए हैं। अब गाजियाबाद में यलो फंगस का केस मिलने के बाद डॉक्टरों की चिंता बढ़ गई है।

ब्लैक फंगस मरीजों का आपरेशन करने वाले सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डाक्टर उशास्त धीर ने बताया कि यह देश में छोटी आंत में ब्लैक फंगस पाए जाने का पहला मामला हैं। जबकि आम तौर पर ब्लैक फंगस के नाक, आंख और मस्तिष्क में फैलने के मामले सामने आ रहे हैं। इनमें आंखों का लाल हो जाना, नाक और गले में सूजन आना और सिर दर्द होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं। लेकिन, इन दुर्लभ मामलों में मरीजों को पेट दर्द की शिकायत हुई।

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नाक, आंख और मस्तिष्क

डा धीर ने बताया कि दिल्ली निवासी 56 वर्षीय श्री कुमार अपनी पत्नी और परिवार के तीन अन्य सदस्यों के साथ कोरोना संक्रमित हुए थे। साथ ही उनको डायबिटीज भी थी। इनमें से पत्नी और तीनों लोगों की मौत हो गई। जब वह पत्नी का अंतिम संस्कार कर रहे थे तो उनके पेट में भयंकर दर्द था। साथ ही वह कोरोना संक्रमित भी थे। उन्होंने पेट दर्द को गैस और एसिडिटी का दर्द मानकर खुद दवा ली। लेकिन तीन दिन तक कोई आराम न मिलने पर वह गंगाराम अस्पताल पहुंचे। अस्पताल पहुंचने पर उनका सीटी स्कैन कराया गया, जिसमें पता चला कि उनकी छोटी आंत के पहले भाग (जेजुनम) में छेद हो गया है और उस पर ब्लैक फंगस का भी असर है।

डा धीर ने बताया कि गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर लिया और तुरंत आपरेशन की तैयारी शुरू कर दी। आपरेशन करके उनके छोटी आंत के पहले भाग जिसमें ब्लैक फंगस था। उसे निकाल दिया और मरीज का एंटीफंगल इलाज शुरू कर दिया। डा धीर के मुताबिक यह आपरेशन 14 मई को किया गया। अभी तक मरीज की हालत काफी स्थिर है।

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दूसरा मामला इसी तरह 68 वर्षीय एजाज कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हो गए लेकिन उन्हें पेट में हल्का दर्द होने लगा। उन्हें डायबिटीज भी थी। इसलिए इलाज के लिए उन्हें स्टेरायड दिया गया था। पेट में दर्द की शिकायत होने के कारण गंगाराम अस्पताल में मेडिकल गेस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग के वरिष्ठ डा पीयूष रंजन ने मरीज का सीटी स्कैन कराया। सीटी स्कैन में पहले मरीज की तरह ही छोटी आंत में परेशानी का पता चला था। अब येलो फंगस पाए जाने के बाद डॉक्टरों ने इस पर शोध शुरू कर दिया है।

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