मुश्किल दौर में यदि आगे चलते जाने का हौसला बना रहे तो मुश्किलें हावी नहीं होती
यदि आप पढऩे के शौकीन हैं तो यह आपके मनोबल को बनाए रखने में मदद करेगा। हरदम किताबों की कोई पंक्ति या उक्ति राह दिखाएगी। सफल लोगों की जीवनी पढ़ते हैं तो जरूर कोई न कोई उदाहरण मन में बना रहेगा।
नई दिल्ली, सीमा झा। विलियम जेम्स अमेरिका के मशहूर दार्शनिक थे। 19वीं सदी के महान चिंतकों में से एक। उन्होंने कहा था कि यह संभव है कि आपको कोई काम पसंद न आए। आप उसे करते रहें पर बोझिलता के साथ। उस कार्य का जो या जैसा आपने सोच रखा है वैसा परिणाम न मिले। पर आपको यह याद रखना होगा कि खुशी यूं ही आपको कभी नहीं मिलेगी। इसके लिए सक्रिय प्रयास करना ही होगा। यह बात अलग है कि बेहतर बनने या पाने की इच्छाएं इंसान का स्वभाव हैं। सपना देखना वह नहीं छोड़ता पर सपने देखना और उसे हासिल करने के दौरान ही हम समझ पाते हैं कि अंत:प्रेरणा क्या चीज है। वही अंत:प्रेरणा जो आपको अंधेरे में भी उजाले की खोज के लिए ऊर्जा देती है।
अंधेरे की बात करें तो जिस समय से हम सब गुजर रहे हैं, वह एक तरह से अंधेरा ही है। पर क्या आपने गौर किया कि इसी दौर में जहां लोगों में अलग अलग कारणों से हताशा देखी गयी तो कई इनमें से निकलकर आए और असाधारण कार्यों के जरिए मिसाल बन गए। हमें ऐसे ही लोगों से सीखने की जरूरत है, जिनकी अंत:प्रेरणा शानदार होती है।
यदि प्रेरणा बनी रहे : समय एक सा नहीं रहता लेकिन कभी ऐसा समय भी आएगा, किसने सोचा होगा? पर इस पर मंथन करने के बजाय समय के साथ चलना ही परिपक्वता की पहचान है। याद रखें, मन में प्रेरणा रूपी दीये का जलना-बुझना स्वाभाविक है लेकिन अंत:प्रेरणा बनी रहे तो यही हमें माहौल के अनुसार ढलने और अपने काम के अनुसार क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित करती रहती है। जब ऐसा होता है तो आप खुद अपने प्रति, अपनी सेहत के प्रति सतर्क हो जाते हैं। आपकी दिनचर्या कैसी है इसके प्रति सचेत हो जाते हैं। प्रेरणा ही है जो हमारा नजरिया बदलने की राह तैयार करती है। एहसास और व्यवहार को प्रभावित करती है।
जो मिसाल बने हैं : अंत:प्रेरणा जगाए रखने वाले लोग हमेशा मिल जाते हैं। जैसे, इस मुश्किल समय में जब लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गयी। खाने-पीने का संकट देखा गया, ऐसे लोग सामने आए, जिन्होंने खुद में बदलाव की आशा नहीं की होगी। एक उदाहरण मेरे दिमाग में जो तुरंत आता है वह है मुंबई के खार में खाओ सेन की फाउंडर वनिता लालवानी। उन्होंने प्रज्ञा कपूर (अर्थ फाउंडेशन से जुड़ी) के साथ मिलकर जरूरतमंदों को खाने का इंतजाम किया। उनके लिए फूड पैकेट तैयार किए। इसी तरह, अंत:प्रेरणा कितना बड़ा अंतर पैदा कर सकती है हमारे साथ दूसरों की जिंदगी में भी यह नजर आया हैदराबाद के वेंकट में। वे कालीगोटला टेक्नोलॉजीज के एमडी हैं और अभी 5,000 गरीबों को रोजाना खाना खिलाते हैं। कह सकते हैं कि वह भूखे लोगों के लिए मसीहा हैं। इसी तरह आप दिल्ली पुलिस की हेड कांस्टेबल सीमा ढाका को कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने कोरोना संकट के ऐसे समय में भी खोए हुए बच्चों को उनके मां-बाप से मिलवाकर मानवता की मिसाल पेश कर दी। क्या इस तरह का उदाहरण अंत:प्रेरणा के बिना संभव है? बेशक नहीं। कहने का अर्थ यही है कि आप चाहते हैं कि अमुक कार्य करना है और वह आपको ऊंचाई दे सकता है तो इस दिशा में अंत:प्रेरणा जगाकर ही प्रयास करना होगा।
सफल लोगों का यह खास गुण : कहते हैं प्रेरणा अंदर से आती है और यह वह शक्ति है जो आपको अपने काम में सौ फीसद देने के लिए लगातार प्रेरित करती है। इसलिए जो भीतर से प्रेरित हैं उन्हें बाहरी परिस्थितियां प्रभावित करती होंगी पर खास बात यह है कि वे कभी मुश्किलों को खुद पर हावी नहीं होने देते। गौर करें जो कामयाब हैं या जिनसे भी हम प्रभावित होते हैं, यह उनका सबसे खास गुण है। इसलिए वे हमेशा लक्ष्य को लेकर गंभीर रहते हैं। प्रेरित रहने के कारण ही तनाव कम होता है। प्रेरणा से भरे होने के कारण ही आप देखेंगे उनका जिंदगी को लेकर नजिरया अलग होता है। वे सामान्य से असाधारण बन जाते हैं। सच है कि यदि अंत:प्रेरणा न रहे तो हर चीज खो जाती है।
अंत:प्रेरणा के अभाव में
अंत:प्रेरणा जगाए रखने के लिए
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