Kisan Andolan: किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच आज होगी 9वें दौर की बातचीत, समाधान की उम्मीद

Kisan Andolan कृषि कानूनों को रद कराने के लिए कुंडली बॉर्डर पर धरनारत किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार को नौवें दौर की बातचीत होगी।बैठक से किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी समाधान की उम्मीद है। किसानों को उम्मीद है कि इस बैठक में सरकार कुछ सकारात्मक रुख अपनाएगी

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 07:42 AM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 07:42 AM (IST)
Kisan Andolan: किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच आज होगी 9वें दौर की बातचीत, समाधान की उम्मीद
धरनारत किसान अपने मांगों पर अड़े हैं।

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर चल रहा किसानों का धरना-प्रदर्शन शुक्रवार को 51वें दिन में प्रवेश कर गया। इस बीच तीनों कृषि कानूनों को रद कराने के लिए कुंडली बॉर्डर पर धरनारत किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार को नौवें दौर की बातचीत होगी। इस बैठक से किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी समाधान की उम्मीद है। किसानों को उम्मीद है कि इस बैठक में सरकार कुछ सकारात्मक रुख अपनाएगी। वहीं, धरनारत किसान अपने मांगों पर अड़े हैं। उनका कहना है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद होना ही चाहिए और उनकी यह अहम मांग है।

किसानों का कहना है कि वे जो कहना चाहते थे, कह चुके हैं। उनकी मांग आज भी कानून रद कराने की ही है। सरकार कानून रद कर दे तो किसान अपने घरों को लौट जाएंगे। किसान आंदोलन की आगामी रूपरेखा इस बैठक पर टिकी है। यदि बैठक में कोई समाधान नहीं निकला तो 17 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता फिर से बैठक करेंगे और आंदोलन की रणनीति तय करेंगे। इस बैठक में 26 जनवरी की ट्रैक्टर मार्च को लेकर रूट प्लान और रणनीति भी बनाई जाएगी। किसान नेता शमशेर सिंह दहिया, रतन मान, गुरनाम सिंह चढ़ूनी आदि का कहना है कि यह कोई लंबा-चौड़ा विषय नहीं है। सरकार को बस कानून वापस करना है और एमएसपी पर गारंटी देनी है। ये दोनों ही मांग मुख्य हैं। इनको लेकर शुक्रवार को वे वार्ता के लिए जाएंगे। इसके बाद ही आगे का आंदोलन तय होगा। हालांकि 26 जनवरी तक का आंदोलन पहले से ही तय है। उन्होंने कहा कि किसान बार्डर तब तक नहीं छोडे़ंगे, जब तक की तीनों कानून वापस नहीं होते हैं। 

इस बीच भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य पद से भूपेंद्र सिंह मान का इस्तीफा किसान आंदोलन की वैचारिक जीत का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भूपेंद्र सिंह मान का बयान आया है कि वह पंजाब के किसानों व जन भावनाओं के साथ हैं। ऐसे में हम उनका धन्यवाद देते हुए चाहते हैं कि आज उनके अंदर का किसान जाग गया है और वह इस दर्द को समझ चुके हैं। ऐसे में भूपेंद्र ¨सह मान को हम किसान आंदोलन के लिए आमंत्रित करते हैं।

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