CBPACS विकसित कर रहा ये खास औषधीय उद्यान, कोरोना मरीजों को भी मिलेगा इसका लाभ
अस्पताल प्रशासन की योजना है कि वे औषधीय उद्यान में उगाई जाने वाले पौधों का इलाज प्रक्रिया में इस्तेमाल करने के साथ इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित करें। ताकि यहां आकर लोग औषधि गुर युक्त पौधों के बारे में अधिक से अधिक जानें।
नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। खैरा डाबर स्थित चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक चरक संस्थान को भविष्य में दवाओं के लिए किसी कंपनी पर निर्भर नहीं रहना होगा। दीर्घकालिक जरूरतों को देखते हुए संस्थान परिसर के नजदीक 48 एकड़ जमीन पर औषधीय उद्यान विकसित किया जा रहा है। उद्यान से हासिल उत्पादों का प्रसंस्करण कर उससे औषधि बनाया जाएगा। अस्पताल प्रशासन की माने तो औषधि गुर युक्त 500 से भी अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधे उद्यान में लगाए जाएंगे।
अच्छी बात यह है कि इस योजना पर काम शुरू हो चुका है। फिलहाल करीब छह एकड़ जमीन पर उद्यान विकसित किया गया है। जिसमें दस अलग-अलग थीमों के अंतर्गत विभिन्न तरह के औषधि गुर युक्त पौधे लगाए गए है। इन पौधों की सिंचाई के लिए भूमिगत जल की बजाय शोधित जल का प्रयोग किया जा रहा है।
अस्पताल प्रशासन की योजना है कि वे औषधीय उद्यान में उगाई जाने वाले पौधों का इलाज प्रक्रिया में इस्तेमाल करने के साथ इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित करें। ताकि यहां आकर लोग औषधि गुर युक्त पौधों के बारे में अधिक से अधिक जानें। कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों का आयुर्वेद पर बढ़े विश्वास ने इस परियोजना को मजबूती प्रदान की है। दिल्ली सरकार ने भी अस्पताल की इस योजना को काफी सराहा है। 2010 में तैयार हुई इस योजना को भारत सरकार के नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड द्वारा करीब सात करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया है।
कोरोना संक्रमित मरीज ले रहे लाभ
प्रोजेक्ट की निरीक्षक डा. मोनिका ने बताया कि अस्पताल में बने कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों को नियमित रूप से नागरादि क्वाथ काढ़ा दिया जा रहा है, जिससे की उनकी प्रतिराेधक क्षमता का विकास हाे। अच्छी बात यह है कि नागरादि क्वाथ काढ़ा इसी औषधीय उद्यान में पैदा होने वाली गुडुची (गिलाेय), हरीतकी (हरड़) और सुनथी से तैयार किया जा रहा है। अब तक 2500 से भी अधिक भर्ती मरीज इसका सेवन कर चुके है। मरीजों की बढ़ती संख्या को मद्देनजर रखते हुए कोरोना संक्रमण के दौरान गुडुची, हरीतकी और सुनथी की बड़े पैमाने पर उगाई जा रही है, जिससे प्रत्येक भर्ती मरीज मजबूत प्रतिरोधक क्षमता के साथ स्वस्थ होकर वापस घर लौटे।
ताकि प्रकृति से हो दोस्ती
औषधीय उद्यान में लगाए गए पौधों के साथ उनके नाम व उनके प्रयोग से जुड़ी तमाम बातों को भी अंकित किया गया है, ताकि लोग उस पौधे की महत्ता को समझें। बीते कुछ वर्षाें में प्रकृति के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा है। घरों में ही लोग किचन गार्डन विकसित कर रहे है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन को उम्मीद है औषधीय उद्यान में आकर लोगों को औषधि गुर युक्त पेड़-पौधों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होगी और वे प्रेरित होकर अपने घरों में भी पौधे लगाएंगे। जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। अभी 10 में केवल छह थीमों पर काम किया जा रहा है और उनके अंतर्गत केवल थोड़े ही पौधे लगाए गए है। पर धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर औषधि गुर युक्त पौधे उगाए जाएंगे।
कौन-कौन सी है ये 10 थीम
राशि नक्षत्र वाटिका
नवग्रह वाटिका (नवग्रहों की शांति के लिए)
फल वाटिका
त्रिफला वाटिका
नागरादि वाटिका
निर्गुण्डी वन (दर्द निवारक औषधिक की वाटिका)
चाय वाटिका
सब्जी वाटिका
सप्तऋषि वाटिका
पंचवटी
रोगानुसार वाटिका
धान्य वर्ग
कौन-कौन से लगाए जा रहे पौधे
राशि नक्षत्र पौधों के नाम
मेष अश्विनी, भरणी, कृत्तिका कुचला, आमला
वृषभ रोहिणी, मृग शीर्ष जामुन, खैर
मिथुन आद्रा, पुनर्वसु अगरू, बांस
कर्क पुष्य, अश्लेशा पीपल, नागकेशर
सिंह मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उतरा फाल्गुनी बरगद, ढ़ाक, पाकड़
कन्या हस्त, चित्रा, चमेली, बेलपत्ता
तुला स्वाति, विशाखा अर्जुन, नागकेशर
वृश्चिक अनुराधा, ज्येष्ठा नागकेशर, शेमल,
धनु मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा राल, वेतस, कटहल
मकर श्रवण, घनिष्ठा आक, खेजेडी
कुंभ शतभिषा, पूर्वा कदम, आम
मीन उत्तराभाद्रपद, रेवती नीम, महुआ
नागरादि वाटिका - गुडुची (गिलाेय), हरीतकी (हरड़) और सुनथी
त्रिफला वन - हरीतकी (हरड़), बिभीतकी (बहेड़ा), आमलकी (आंवला)
चाय वाटिका - इलायची, सौंफ, दालचीनी, पुदीना, तुलसी, लेमन ग्रास, तेजपत्ता
फल वाटिका - नारियल, आम, पपीता, अंगूर, अनार, बेल, खजूर, नींबू, चीकू, आडू, सेब, जामुन, अमरूद, संतरा, सहजन, करोंदा
सब्जी वाटिका - भींडी, बैंगन, टमाटर, लौंकी, टींडा, पालक, मैथी, धनिया, पुदीना, खीरा, ककड़ी, प्याज, लहसून, मूली, गाजर, चुकंदर, करेला, परवल