सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद रेलवे लाइन के किनारे आबाद हैं 48,000 झुग्गियां

Demolition of Jhuggies in Delhi सुप्रीम कोर्ट ने तीन माह में रेलवे पटरी के नजदीक स्थित 48 हजार झुग्गियां हटाने को कहा था परंतु अब भी समस्या बरकरार है। मामला बैठकों व पत्रों से आगे नहीं बढ़ा है।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 07:48 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 07:50 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद रेलवे लाइन के किनारे आबाद हैं 48,000 झुग्गियां
वर्षों से रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हो रहा है और रेल प्रशासन इसे रोकने में नाकाम है।

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। लगभग छह हजार करोड़ रुपये खर्च कर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय बनाने की तैयारी है। साथ ही राजधानी के अन्य रेलवे स्टेशनों की भी दशा सुधारी जा रही है, लेकिन सुगम व सुरक्षित रेल परिचालन के लिए पटरी किनारे से अतिक्रमण हटाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई है। अतिक्रमण के कारण रिंग रेल सहित अन्य विकास योजनाओं का काम भी अधर में लटका हुआ है। पिछले वर्ष 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से समस्या हल होने की उम्मीद जगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तीन माह में रेलवे पटरी के नजदीक स्थित 48 हजार झुग्गियां हटाने को कहा था, परंतु अब भी समस्या बरकरार है। मामला बैठकों व पत्रों से आगे नहीं बढ़ा है। रेल प्रशासन का कहना है कि इसे लेकर संबंधित विभागों के साथ मिलकर सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश हो रही है।

अदालत के आदेश पर शुरू हो गई थी सियासत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि रेलवे लाइन के पास अतिक्रमण हटाने से रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित किया जाता है तो वह प्रभावी नहीं होगा। इस मामले में राजनीतिक दखलंदाजी से भी मना किया गया था। कोर्ट के आदेश पर दिल्ली में सियासत शुरू हो गई थी। आम आदमी पार्टी ने कहा था कि पुनर्वास के बगैर किसी को बेघर नहीं होने दिया जाएगा, जबकि कांग्रेस नेता अजय माकन कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए झुग्गियों को नहीं हटाने की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। वहीं, भाजपा ने इस समस्या के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराती रही है। उसका कहना है कि लगभग 50 हजार फ्लैट तैयार है। इसे आवंटित कर समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।

रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हो रहा और रेल प्रशासन इसे रोकने में नाकाम है

वर्षों से रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हो रहा है और रेल प्रशासन इसे रोकने में नाकाम है। अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। अधिकारियों का कहना है कि अदालत के आदेश के अनुसार झुग्गी में रहने वालों को पुनर्वास के बगैर नहीं हटाया जा सकता है। 1999 में अतिक्रमण हटाने के लिए 156 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था। वर्ष 2006 में इसे बढ़ाकर दो सौ करोड़ रुपये कर दिया गया, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटा। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पहले एक झुग्गी को हटाने पर पुनर्वास के लिए 80 हजार रुपये देने का प्रविधान है। राज्य सरकार को पैसे भी दिए गए थे, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटाया गया। अब राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 20 लाख प्रति झुग्गी से ज्यादा कर दिया है।

60 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर कब्जा

राजधानी दिल्ली में कई छोटे रेलवे स्टेशनों के प्लेटफॉर्म के बिल्कुल पास तक झुग्गियां बसी हुई हैं। रेलवे की 60 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर कब्जा है। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के साथ मिलकर मई, 2015 से जुलाई, 2016 के बीच किए गए सर्वे में रेलवे भूमि पर लगभग 50 हजार झुग्गियों की पहचान की गई थी। लगभग दो हजार के करीब अतिक्रमण हटाए गए थे। इन अवैध झुग्गियों में तीन लाख के करीब लोग रहते हैं। लोग पटरी के किनारे खुले में शौच करते हैं। घरों का गंदा पानी पटरियों के किनारे जमा रहता है। घरों से निकलने वाला कूड़ा भी पटरियों के आसपास फेंक दिया जाता है, जिससे गंदगी फैलती है।

रेलवे पैसा देता है, तो डूसिब काम करने को तैयार

दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) के अधिकारियों का कहना है कि लोगों के पुनर्वास के लिए रेलवे को पैसा देना है। वर्षो पहले रेल प्रशासन द्वारा दी गई राशि से कई झुग्गियों में रहने वालों का पुनर्वास किया गया था। रेलवे यदि पैसा देता है तो डूसिब काम करने को तैयार है।

केंद्र व राज्य सरकार को मिलकर निकालना है हल

केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष सितंबर में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि शहरी विकास मंत्रलय, रेल मंत्रलय और दिल्ली सरकार मिलकर समस्या का हल निकालेंगे और तब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। उस समय एक माह में समस्या का हल ढूंढने की बात हुई थी।

राज्य सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल का कहना है कि शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ इस विषय पर बातचीत हो रही है। इस संबंध में दिल्ली सरकार को भी प्रस्ताव भेजा जाएगा। राज्य सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

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