छह माह से व्हील चेयर से नहीं उठ पा रही बच्ची का हुआ इलाज, जन्म के बाद बढ़ने लगा था वजन
सर्जरी मरीज की जान बचाने के लिए जरूरी थी। सर्जरी के एक सप्ताह बाद ही उसका वजन 40 किलो कम हो गया और अभी भी सुधार जारी है।सर्जरी मैक्स हास्पिटल पटपड़गंज और वैशाली के मैक्स इंस्टीट्यूट आफ मिनिमल एक्सेस बैरिएट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डा विवेक बिंदल ने की।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। जन्म के बाद लगातार बढ़ रहे वजन से परेशान के एक दो साल की बच्ची की डाक्टरों ने सफल बेरिएट्रिक सर्जरी (वजन कम करने के लिए) की है। इसकी जानकारी अस्पताल के डाक्टरों ने मंगलवार को एक प्रेसवार्ता आयोजित कर दी। सर्जरी मरीज की जान बचाने के लिए जरूरी थी। सर्जरी के एक सप्ताह बाद ही उसका वजन 45 किलो से 40 किलो हो गया और अभी भी सुधार जारी है। यह आपातकालीन सर्जरी मैक्स हास्पिटल, पटपड़गंज और वैशाली के मैक्स इंस्टीट्यूट आफ मिनिमल एक्सेस, बैरिएट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डा विवेक बिंदल ने की। डा बिंदल ने बताया कि बच्ची ख्याति इंसुलिन के स्तर में वृद्धि हो गयी थी और उसे आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (सोते समय सांस लेने में परेशानी) भी हो गया था।
बच्चों में बेरिएट्रिक सर्जरी किए जाने की निम्नतम आयु सीमा 12-15 वर्ष है
वह अब तक न तो घुटने के बल और न ही पैरों से चली थी। साथ ही पीठ के बल लेटकर सो भी नहीं सकती थी। पिछले छह महीनों से व्हीलचेयर पर ही रह रही थी, क्योंकि वजन के कारण उसके माता-पिता उसे उठाने में असमर्थ थे। बच्ची का बीएमआइ (बाडी मास इंडेक्स) 41.5 था। डाक्टर ने बताया कि इस उम्र में सामान्य विकास करने वाले बच्चे का वजन 12 से 15 किलोग्राम के बीच होता है। वहीं, बच्चों में बेरिएट्रिक सर्जरी किए जाने की निम्नतम आयु सीमा 12-15 वर्ष है। चूंकि बच्चों में बेरिएट्रिक सर्जरी न के बराबर होती है।
सर्जरी के बाद एक सप्ताह में कम हुआ वजन
इसलिए इस मामले को पिछले एक दशक में भारत में सबसे कम उम्र की बेरिएट्रिक सर्जरी रोगी कहा जा सकता है। यह प्रक्रिया एक मेडिकल इमरजेंसी के रूप में की गई। सर्जरी की टीम में डा मनप्रीत सेठी, डा राजीव उत्तम और डा अरुण पुरी शामिल थे, जिन्होंने आपरेशन से पहले और बाद में बच्चे को अपनी निगरानी में रखा। डा सेठी ने कहा कि यह बच्ची जन्म के समय सामान्य थी। उसका वजन 2.5 किलोग्राम था।
जन्म के तुरंत बाद उसका वजन तेजी से बढ़ने लगा। उसकी लैप्रोस्कोपिक गैस्ट्रिक स्लीव सर्जरी, जिसमें पेट के एक हिस्से को सर्जरी के द्वारा हटा दिया जाता है। सर्जरी करने में बड़ी चुनौती यह थी कि दो साल के बच्चे में उदर गुहा (एब्डोमिनल कैविटी) बहुत छोटी होती है। चाहे उसका वजन कुछ भी हो। साथ ही बच्चों में रक्त की मात्रा बहुत कम होती है। इस तरह की सर्जरी में रक्त काफी निकलता है।इन सब बातों का ख्याल रखते हुए सर्जरी की गई। ख्याति अब बिना किसी समस्या के पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ और नरम आहार ले रही है।