15 साल की उम्र में किया दिल्ली के छात्र ने कमाल, महज 50 हजार रुपये के खर्च से बना डाली इलेक्ट्रिक बाइक

दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 15 वर्षीय छात्र ने स्कूल में सीखे गए अपने कौशल का इस्तेमाल कर कबाड़ से जुगाड़ का बेहतर इस्तेमाल कर के दिखाया। छात्र के मुताबिक लगभग 50 हजार कीमत से तैयार ये बाइक एक बार चार्ज करने पर 100 किलोमीटर तक चलेगी

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 08:22 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 09:37 PM (IST)
15 साल की उम्र में किया दिल्ली के छात्र ने कमाल, महज 50 हजार रुपये के खर्च से बना डाली इलेक्ट्रिक बाइक
सरकारी स्कूल के नौंवी कक्षा के छात्र ने यूट्यूब से सीख कर बनाई ई-बाइक

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। स्कूली शिक्षा का मकसद केवल अंकों की परीक्षा पास करना ही नहीं बल्कि पढ़ाई के साथ-साथ नए-नए कौशल सीखना और उनका विकास करना भी है। दिल्ली के सरकारी स्कूल में कक्षा नौवीं में पढ़ने वाले एक 15 वर्षीय छात्र ने स्कूल में सीखे गए अपने कौशल का इस्तेमाल कर कबाड़ से जुगाड़ का बेहतर इस्तेमाल कर के दिखाया।सुभाष नगर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के कक्षा नौवीं के छात्र राजन शर्मा ने कबाड़ हो चुकी रायल एनफील्ड बाइक से इलेक्ट्रिक बाइक बनाई है।

छात्र के मुताबिक लगभग 50 हजार कीमत से तैयार ये बाइक एक बार चार्ज करने पर 100 किलोमीटर तक चलेगी। वहीं, बाइक में 48 वाल्ट की एक चार्जर भी लगाया गया है जिससे इसे घर पर भी चार्ज किया जा सकता है।

तीन माह का लगा समय

छात्र के मुताबिक बचपन से ही उसे तरह-तरह के खराब उपकरणों को ठीक करने का शौक था। लाकडाउन के दौरान छात्र ने सबसे पहले एक खराब साइकिल को ई-साइकिल बनाने की शुरूआत की। लेकिन ई-साइकिल में गति नियंत्रण तंत्र स्थापित न हो पाने से उन्होंने इस प्रोजेक्ट को बीच में ही छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद राजन अपने पिता से ई-बाइक बनाने की इच्छा जतााई। उनकी इस इच्छा के लिए उनके पिता ने उन्हेें मायापुरी कबाड़ मार्केट से 10 हजार रुपये में एक 20 साल पुरानी रायल एन्फील्ड बाइक खरीद कर दी।

इसके बाद उन्होंने ई-बाइक के लिए लगने वाले अन्य सामान जैसे मोटर, बैट्री व अन्य सामान एकत्रित करना शुरू किया। इसके लिए उन्हें लगभग तीन माह का वक्त लग गया। इस दौरान वह गूगल और यूट्यूब के माध्यम से ई-बाइक के बारेे में जानकारी लेते रहे। आसपास में बाइक ठीक करने वालों और वेल्डिंग करने वालों के पास बैठ कर चीजें देखते समझते रहे।

वहीं, सामान एकत्रित करने के बाद तीन दिन के अंदर ही उन्होंने ई-बाइक बना दी। उन्होंने कहा कि अगर उनके माता-पिता और स्कूल के शिक्षक इसमें सहयोग न करते तो शायद उनका ई-बाइक बनाने की सपना अधूरा रह जाता। वो कहते हैं कि अब आगे चलकर वो एक ई-कार बनाना चाहते हैं।

औसतन 50 किमी प्रतिघंटा चलेगी ई-बाइक

राजन ने बताया कि ई-बाइक बनाते समय जो बैटरी इस्तेमाल की थी वो मात्र 15 मिनट ही चली। अब उन्हें एक ऐसी बैटरी की तलाश थी जो एक घंटे तक चले। बहुत खोजने के बाद उनके पिता ने फरीदाबाद से एक साल की वारंटी पर 13,500 रुपये में बैटरी खरीदी। इसमें 48 वाल्ट का चार्जर लगाया गया है, जिसे घर पर ही चार्ज किया जा सकता है। उनके मुताबिक ई-बाइक की औसतन रफ्तार 50 से 80 किलोमीटर प्रतिघंटा है, हाइवे पर इसकी स्पीड बढ़ जाती है। राजन के मुताबिक अब वो ई-बाइक को सर्टिफाई कराने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

राजन के पिता दशरथ शर्मा ने कहा कि कोरोना के दौरान जब बाकी बच्चे टीवी व मोबाइल फोन में व्यस्त थे। तब राजन ई-बाइक बनाने के संसाधन बटोरने में लगा हुआ था। ये उसकी ई-बाइक बनाने के प्रति जिद्द और जुनून ही थी जो सीमित संसाधनों के बावजूद उसने यह कमाल किया है। उसके इस कार्य के लिए सभी से प्रोत्साहन मिल रहा है। मुझे यकीन है वो जल्द ही ई-कार बनाने के सपने को भी पूरा करेग।

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