दिल्ली के अस्पताल में 13 दिन में 11 बच्चों की मौत, एक साल से नहीं है दवा

दस बच्चे यूपी के अलग-अलग इलाकों से, एक बच्चा दिल्ली का है। निगम के महर्षि वाल्मीकी संक्रामक रोग अस्पताल में करीब एक साल से नहीं है दवा। इस साल अब तक 44 बच्चों की जा चुकी है जान।

By Amit SinghEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 08:45 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 07:45 AM (IST)
दिल्ली के अस्पताल में 13 दिन में 11 बच्चों की मौत, एक साल से नहीं है दवा
दिल्ली के अस्पताल में 13 दिन में 11 बच्चों की मौत, एक साल से नहीं है दवा

नई दिल्ली (जेएनएन)। किंग्सवे कैंप स्थित उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में पिछले 13 दिनों में 11 बच्चों की मौत हो गई है। सभी बच्चे डिप्थीरिया (गलाघोटू) बीमारी से पीड़ित थे। इनमें से 10 बच्चे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, सहारनपुर, ग्रेटर नोएडा आदि जगहों के रहने वाले थे, जबकि एक बच्चा दिल्ली का रहने वाला था। सभी की उम्र एक से नौ वर्ष के बीच थी। इसके अलावा दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल में भी इसी बीमारी से पीड़ित एक बच्चे की मौत हो गई है। 

इन बच्चों की मौत के पीछे बड़ा कारण अस्पताल में डिप्थीरिया से निपटने के लिए पर्याप्त दवाई उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है। निगम के इस अस्पताल में इस वर्ष अब तक डिप्थीरिया से पीड़ित 326 बच्चे भर्ती हो चुके हैं, जिनमें से 44 की मौत हो चुकी है। पिछले वर्ष इससे पीड़ित 546 मरीज भर्ती हुए थे, जिनमें से 90 बच्चों की मौत हो गई थी।

महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार गुप्ता का कहना है कि 6 से 19 सितंबर 2018 के बीच डिप्थीरिया से पीड़ित 85 मरीजों को भर्ती किया गया। इनमें 79 दिल्ली के बाहर के व छह दिल्ली के रहने वाले हैं। इनमें से 11 बच्चों को बचाया नहीं जा सका। डॉ. गुप्ता ने कहा कि डिप्थीरिया के अधिकतर मामले जुलाई से अक्टूबर के बीच आते हैं।

अस्पताल में सभी जरूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है और अस्पताल प्रशासन ऐसे मामलों से निपटने के लिए तैयार है। डिप्थीरिया से पीड़ित जिन मरीजों को देरी से भर्ती कराया जाता है, उन्हें बचाना ज्यादा मुश्किल होता है। एक साल से अस्पताल में उपलब्ध नहीं है डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन टीका महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में पिछले एक साल से डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन टीका उपलब्ध नहीं है।

उत्तरी दिल्ली नगर निगम का कहना है कि जनवरी में ही इसकी मांग की गई थी, लेकिन अभी तक टीका उपलब्ध नहीं कराया गया है। निगम के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के कसौली में स्थित केंद्रीय अनुसंधान संस्थान में डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन टीका बनता है।

सितंबर के आखिरी सप्ताह तक वहां से टीका उपलब्ध कराने का आश्वासन मिला है। 400 रुपये के बदले 1200 रुपये देकर टीका खरीदने को मजबूर हुए परिजन मृतक बच्चों के परिजन का कहना है कि निगम अस्पताल में डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन टीका उपलब्ध नहीं होने के कारण मजबूरन उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से अधिक कीमत पर टीका खरीदना पड़ा। उन्होंने बताया कि निगम अस्पताल में एक टीके की कीमत 400 रुपये है, जबकि निजी मेडिकल स्टोर से उन्हें एक टीका 1200 रुपये में खरीदना पड़ा। डिप्थीरिया से पीड़ित मरीजों को पांच से छह टीके लगाने पड़ते हैं।

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