घरेलू हिसा की शिकार महिलाओं का सहारा बनीं विनीता शिखर

अगर बचपन में घर से ही समाजसेवा करने की सीख मिले तो व्यक्ति पर उसका प्रभाव जरूर पड़ता है और ऐसे लोग आगे चलकर समाजसेवा से जरूर जुड़ते हैं। इसी तरह बचपन में अपनी मां क्षमा कुशवाह के सामाजिक कार्यों को देखकर उनसे प्रभावित हुईं विनीता शिखर भी अपनी मां के पदचिन्हों पर चलते हुए गरीब-बेसहारा महिलाओं और बच्चों को सहारा देने में लगी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 04:53 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 04:53 PM (IST)
घरेलू हिसा की शिकार महिलाओं का सहारा बनीं विनीता शिखर
घरेलू हिसा की शिकार महिलाओं का सहारा बनीं विनीता शिखर

राहुल चौहान, नई दिल्ली

बचपन में मिली सीख का प्रभाव जीवनभर रहता है। इसी तरह बचपन में मां क्षमा कुशवाह द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों से प्रभावित हुई विनीता शिखर उनके पदचिह्नों पर चलते हुए गरीब-बेसहारा महिलाओं और बच्चों को सहारा देने में लगी हैं। पेशे से टैक्सटाइल्स डिजाइनर शिखर का कपड़े के परिधानों को डिजाइन करने का व्यवसाय है।

विनीता ने छतरपुर के पास अंधेरिया मोड़ पर अपने खर्चे पर स्लम के बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की है। यहां शाम को चार से छह बजे तक स्लम के 50-60 बच्चों को निश्शुल्क ट्यूशन दिया जाता है, जिन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों को वह वेतन देती हैं। साथ ही इन बच्चों को सप्ताह में चार दिन दूध और तीन दिन फल बांटती हैं। वहीं अपनी कंपनी में आयानगर व आसपास के इलाके की गरीब और बेरोजगार महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं। साथ ही वह सामाजिक संस्था महिला दक्षता समिति के कड़कड़डूमा स्थित आश्रयगृह में रहने वाली घरेलू हिसा की शिकार व घर से भटकी हुईं बेसहारा महिलाओं की भी व्यक्तिगत तौर पर मदद करती हैं। वह इनके खाने की व्यवस्था और रखरखाव का भी पूरा ध्यान रखती हैं। वहीं जिन महिलाओं की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती है, उनकी काउंसिलिग और उपचार की भी व्यवस्था करती हैं। हर त्योहार के एक दिन पहले वह आश्रयगृह की महिलाओं और स्लम के बच्चों को अपने घर से खाना लाकर खिलाती हैं और उनके साथ त्योहार मनाती हैं। विनीता शिखर कहती हैं कि पति सेना में अधिकारी रहे हैं, उनसे भी देश और समाजसेवा की प्रेरणा मिलती रही है। इसलिए उन्हें बेसहारा और जरूरतमंदों की मदद करके बेहद खुशी मिलती है।

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